Teachers Day 2022: मिलिए कानपुर के बाल, युवा और गुदड़ी के गुरुओं से, इनके बारे में जानकर आप भी कहेंगे 'वाह'
Happy Teachers Day 2022 Special Story: कानपुर के बाल, युवा और गुदड़ी गुरुओं की कहानी किसी का भी ध्यान खींच सकती है। इनके प्रयासों की सराहना जितनी की जाए, उतनी कम है।
11 वर्षीय यशवर्धन करा रहे तैयारी (बाल गुरु)
यशवर्धन सिंह कक्षा सात के छात्र हैं। मात्र 11 वर्ष की में उम्र में वह शहर एक ऐसी कोचिंग में पढ़ा रहे हैं जहां सिविल सर्विसेज की तैयारी कराई जाती है। उनका नाम हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में 11 जनवरी 2022 को दर्ज किया जा चुका है। शिवकटरा लाल बंगला निवासी यह मेधावी छात्र भारतीय प्राचीन इतिहास, भारतीय राज व्यवस्था, भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध, भूगोल एवं समसामयिकी जैसे विषयों को पढ़ाते हैं। पिता अंशुमन सिंह बताते हैं कि जब यश की मां कंचन पाल सिविल सेवा की तैयारी कर रही थीं तो उसकी इतिहास में रुचि जागी। कई सम्मान अर्जित कर चुके यशवर्धन जब कक्षा चार में थे तब से ही पढ़ाना शुरू किया।
बड़े-बड़ों को तकनीक बांट रहे शिवा (बाल गुरु)
जय नारायण विद्या मंदिर से वर्ष 2022 में इंटरमीडिएट पास करने वाले शिवा पटेल अब तकनीक की शिक्षा दे रहे हैं। कक्षा 09 से 12 के दौरान यहां की अटल टिंकरिंग लैब और नव सृजित टिंकर इंडिया लैब में कई खोज कीं जिससे उनकी पहचान बन गई। वर्तमान में डीएवी कॉलेज में बीएससी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रथम वर्ष के छात्र शिवा अब टिंकर इंडिया में मेंटर (शिक्षक) के रूप में सेवा कर रहे हैं। लैब में कोई भी आकर खोज कर सकता है। यह लैब निशुल्क सुविधा प्रदान करती है। शिवा अब तक स्मार्ट टैप वॉटर डिस्पेंसर, वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी टेस्टर, स्मार्ट होम ऑटोमेशन सिस्टम समेत अनेक खोजपरक सिस्टम तैयार कर चुके हैं।
अब तक 1.25 लाख बच्चों और बड़ों को सिखा चुके हैं वैदिक गणित (युवा गुरु)
वैदिक गणित एक ऐसा जादू है जिसे सीखने के बाद कठिन से कठिन कैलकुलेशन भी आसान हो जाता है। इस विधा में पारंगत सुजीत कुमार सिंह बच्चों और बड़ों को इसकी निशुल्क शिक्षा देने में जुटे हैं। 1.25 लाख बच्चों व बड़ों को वैदिक गणित पढ़ा चुके हैं। केवल शहर में ही नहीं बाहर जाकर भी इस काम को जारी रखा है। उनका कहना है कि कक्षा 06 से लेकर उच्च कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र यदि वैदिक गणित पढ़ लेते हैं तो उनके लिए गणित काफी आसान हो जाती है। एक इंजीनियरिंग कॉलेज में आठ वर्ष तक शिक्षण कार्य करने के बाद केवल वैदिक गणित के प्रेम ने उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
आठ देशों के छात्रों के लिए 24 वर्ष के आयुष ध्रुपद संगीत के गुरु (युवा गुरु)
शिक्षक दिवस पर ऐसे गुरु की चर्चा क्यों न हो, जो अमेरिका, जापान, यूएई, स्पेन, इटली, आस्ट्रेलिया, श्रीलंका व मॉरीशस में भी शास्त्रत्तीय संगीत का डंका बजा रहा है। 24 साल का यह युवा हुरु रैप व डिस्को के दौर में न सिर्फ खुद शास्त्रत्त्ीय संगीत सीख रहा है बल्कि आठ देशों के लोगों को ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से शास्त्रत्तीय संगीत सिखा रहा है। हम बात कर रहे हैं जूही सफेद कॉलोनी में रहने वाले विनोद कुमार द्विवेदी और रंजना द्विवेदी के बेटे आयुष द्विवेदी की। बचपन से ही शास्त्रत्तीय संगीत से रुचि थी। पिता से ही शास्त्रत्तीय गायन सीखा और इस शौक को अपना करियर भी बना लिया।
गरीबी में पढ़े जसवंत ने गरीब बच्चों को आगे बढ़ाया, किसी की न सुनते (गुदड़ी गुरु)
खुद गरीबी में पढ़ने के बाद महाराजपुर के बौसर गांव के जसवंत ने ठाना है कि वे किसी भी निर्धन बच्चे की शिक्षा रुकने नहीं देंगे। इसके लिए वह बच्चों की फीस भरने के साथ-साथ उनके लिए पाठ्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। बौसर गांव निवासी जगरूप प्रसाद के 25 वर्षीय बेटे जसवंत वर्मा बीएससी के साथ आईटीआई कर चुके हैं। दो साल से वह एक प्राइवेट फर्म में इलेक्ट्रीशियन के पद पर कार्यरत हैं। जसवंत के पिता और माता मजदूरी करते हैं। जसवंत ने बताया कि एक समय था जब फीस भरने और पाठ्य सामग्री खरीदने के लिए माता-पिता के पास रुपये नहीं होते थे।
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को करा दिया बीटेक, इंजीनियर बनेगी बेटी (गुदड़ी गुरु)
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चे इसी वर्ष से इंजीनियर बन कर निकलने लगेंगे। बेहद गरीब परिवार के इन बच्चों को स्वयं पढ़ाने और पढ़वाने का श्रेय विजय कुमार दीक्षित को जाता है। इस वर्ष एक बेहद गरीब परिवार की बेटी इंजीनियर बन कर निकलेगी और अगले वर्ष दो बेटे। वर्तमान में ऐसे सात छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं। पिछले दस वर्षों से इन बच्चों को खुद पढ़ा रहे और इनकी आर्थिक व सामाजिक मदद कर रहे विजय बताते हैं कि जो छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं, वह कक्षा 09 से 12 तक के बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहे हैं।
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