गुरु मंत्र: रुचि के क्षेत्र में अध्ययन ले जाएगा आपको आगे
भारतीय मूल की जानी-मानी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ को इंटरनेशनल मॉनेटेरी फंड (आईएमएफ) ने अपने यहां प्रमुख अर्थशास्त्री के पद पर नियुक्त किया है। आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जिसमें दुनिया के...
भारतीय मूल की जानी-मानी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ को इंटरनेशनल मॉनेटेरी फंड (आईएमएफ) ने अपने यहां प्रमुख अर्थशास्त्री के पद पर नियुक्त किया है। आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जिसमें दुनिया के 189 देश जुड़ कर आर्थिक विकास कार्य और व्यापार को बढ़ावा देते हैं। गीता आईएमएफ के शोध विभाग का नेतृत्व करेंगी। वे इस पद तक पहुंचने वाली दुनिया की पहली महिला हैं। वे एक्सचेंज रेट, व्यवसाय और निवेश, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकट, पूंजीगत नीतियों से जुड़े लगभग 40 शोध पत्र लिख चुकी हैं। आईएमएफ ने उन्हें यह जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मामलों के उनके लंबे तजुर्बे को देखते हुए सौंपी है। गीता हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन व अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं। वे केरल सरकार की आर्थिक सलाहकार भी हैं।
कैसे हुईं प्रेरित
गीता का जन्म साल 1971 में एक दक्षिण भारतीय किसान परिवार में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई कोलकाता में संपन्न हुई। वे पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी थीं। एक आम छात्र की तरह उनसे भी एक डॉक्टर या इंजीनियर बनने की उम्मीद की जाती थी। लेकिन उन्होंने ग्रेजुएशन में अर्थशास्त्र में अपनी रुचि के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ‘लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स' में प्रवेश लेना ठीक समझा।
गीता कहती हैं कि साल 1990-91 के समय जब वे दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर रही थीं, भारत बाहरी आर्थिक और पूंजीगत मसलों से जूझ रहा था। इसे देखते हुए उन्होंने ग्रेजुएशन में अर्थशास्त्र विषय को चुना। यहीं से ‘इंटरनेशनल फाइनेंस' में उनकी रुचि बढ़ी। फिर दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स की पढ़ाई की। उन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से भी पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री ली है। साल 2001 में उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की। वे इसी साल शिकागो विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका के पद पर नियुक्त हुईं। साल 2005 में उन्हें प्राध्यापिका के तौर पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय से जुड़ने का मौका मिला।