सभी लड़कियां स्कूल जाएं तो अर्थव्यस्था 10% बढ़ जाएगी
अगर विकासशील देश अपने यहां सौ फीसदी लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करा दें तो यहां की अर्थव्यवस्था 2030 तक दस फीसदी बढ़ जाएगी। प्लान इंटरनेशनल ने भारत समेत आठ विकासशील देशों पर किए अध्ययन में...
अगर विकासशील देश अपने यहां सौ फीसदी लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करा दें तो यहां की अर्थव्यवस्था 2030 तक दस फीसदी बढ़ जाएगी। प्लान इंटरनेशनल ने भारत समेत आठ विकासशील देशों पर किए अध्ययन में यह दावा किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि इन देशों को कोरोना महामारी से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में गति लाने के लिए बालिका शिक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए।
बालिका शिक्षा पर खर्च एक डॉलर देगा ढाई गुना लाभ
प्लान इंटरनेशनल ने यह रिपोर्ट सिपी ग्लोबल इनसाइट्स टीम के सहयोग से की। रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों की शिक्षा व दूसरे हकों पर काम करते हुए अगर सरकार खर्च करती है तो हर एक डॉलर के निवेश पर उसे 2.80 डॉलर वापस मिलेगा। यानी इससे जीडीपी में कई खरब डॉलर की राशि जुड़ जाएगी। प्लान इंटरनेशनल के मुख्य कार्यकारी ऐनी-बिरजिते ने कहा कि कोविड रिकवरी की योजनाओं में लड़कियों की शिक्षा व उनके कल्याण से जुड़ी योजनाओं को बढ़ावा देने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
लड़कियों के विकास से समाज में समृद्धि
अध्ययन में बताया गया कि अगर लड़कियों का विकास किया जाएगा तो समाज के विकास में उनकी भागीदारी बढ़ेगी, जिससे विकासशील देशों का समाज समृद्ध होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि लड़कियों के सशक्तिकरण से ये देश उन तमाम पैरामीटर पर पहुंच सकेंगे जो संयुक्त राष्ट्र ने किसी देश के विकास के लिए बताए हैं। यह अध्ययन भारत, इजिप्ट, यूगांडा, बालीविया, लाओस समेत आठ विकासशील देशों पर किया। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज में फैली हिंसा की स्थितियों का अध्ययन किया गया।
माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान दे सरकार
अंतरराष्ट्रीय महिला अधिकार संगठन इक्युअलिटी नाऊ ने इस रिपोर्ट की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि जब एक लड़की को पूरी स्कूली शिक्षा मिलेगी, तब ही वह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर एक सफल व्यक्तित्व में बदल सकेगी। इस तरह ही विकासशील देशों की आधी आबादी का विकास होगा जो अंतत: उस देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करेगा इसलिए हर देश स्कूल शिक्षा पर खर्च करे ।
कोरोनाकाल में लड़कियों की पढ़ाई छूटने का खतरा
- 1.1 करोड़ तालाबंदी के बाद स्कूल खुलने पर दोबारा पढ़ने नहीं जा सकेंगी
- 13 करोड़ लड़कियां महामारी के पहले ही आउट ऑफ स्कूल हो चुकी थीं
- 37 हजार बाल विवाह होते हैं हर दिन, कोरोनाकाल में बढ़ गई इसकी दर।
(संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ें। )