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दिल्ली नर्सरी एडमिशन 2019: स्कूल से घर की दूरी के अंक बढ़ा रहे हैं उलझन

दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिला शुरू होने के साथ ही अभिभावकों की उलझनें भी बढ़ गई हैं। प्रारंभिक कक्षाओं (नर्सरी, केजी और पहली कक्षा) में दाखिले के लिए आवदेन प्रक्रिया के अलग-अलग मानक से...

दिल्ली नर्सरी एडमिशन 2019: स्कूल से घर की दूरी के अंक बढ़ा रहे हैं उलझन
मनोज भट्ट,नई दिल्लीTue, 03 Dec 2019 05:50 PM
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दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिला शुरू होने के साथ ही अभिभावकों की उलझनें भी बढ़ गई हैं। प्रारंभिक कक्षाओं (नर्सरी, केजी और पहली कक्षा) में दाखिले के लिए आवदेन प्रक्रिया के अलग-अलग मानक से अभिभावक परेशान हैं। कईयों का आरोप है कि घर के पास स्थित स्कूल की वेबसाइट पर उनका क्षेत्र दूर दिखाया गया है।

शिक्षा निदेशालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों के तहत निजी स्कूल मानदंडों के तहत दाखिले के लिए घर से स्कूल की दूरी के आधार पर सबसे अधिक अंक देता है। इस बार भी 100 से 80 अंकों के मानदंडों में दूरी के लिए 40 से 80 तक अंक दिए जा रहे हैं। दूरी बढ़ने के साथ ही दाखिला अंक कम होने लगता है।

स्कूल

दूरी की श्रेणी

अंक

विवेकानंद पब्लिक स्कूल, आंनद विहार

0 से 5 किमी

70 अंक

विवेकानंद स्कूल, आनंद विहार

0 से 8 किमी

40 अंक

गोएनका पब्लिक स्कूल, कड़कड़डूमा

0 से 8 किमी

70 अंक

लवली पब्लिक इंग्लिश स्कूल, योजना विहार

0 से 1 किमी

70 अंक

स्कूलों ने तीन से चार श्रेणियां तैयार की हैं। कुछ ने तीन किमी तक पहली श्रेणी तैयार की है। कुछ ने इसके लिए एक किमी दूरी रखी है। दूसरी श्रेणी में कुछ स्कूलों द्वारा अधिकतम पांच किमी तक रहने वाले बच्चों को ही दाखिला अंक दिया जा रहा है। उसी के पास स्थित कुछ स्कूल 14 किमी तक के बच्चों को दाखिला अंक देने की घोषणा कर रहे हैं।

गूगल मैप से तय की जाती है दूरी
दूरी तय करने के निजी स्कूलों के अलग-अलग मानकों को लेकर निजी स्कूलों के अग्रणी संगठन स्कूल एक्शन कमेटी के महासचिव भरत अरोड़ा कहते हैं कि यह स्कूल के विवेक पर निर्भर करता है कि वह कितनी दूरी के बच्चों को इसमें शामिल करे। इस संबंध में कोई भी निर्देश स्कूलों को नहीं है। दूरी तय करने के लिए स्कूल गूगल मैप का प्रयोग करते हैं, जिसे स्कूल के केंद्र में रखकर क्षेत्रों की दूरी तय की जाती है।

17 सालों से संघर्ष- अभिभावक संघ 
अखिल भारतीय अभिभावक संघ के अध्यक्ष अधिवक्ता अशोक अग्रवाल का कहना है कि 17 सालों से एक मानक बनाए जाने का संघर्ष जारी है। वर्ष 2003 में उच्च न्यायालय में दूरी और ड्रॉ के आधार पर दाखिले के लिए केस डाला गया था। एकल बेंच ने स्कूलों के पक्ष में फैसला सुनाया था। वर्ष 2005 में डबल बेंच ने एके गांगुली कमेटी गठित की थी। पहली सिफारिश में दूरी तय करने का मानक तैयार किया गया, वहीं दूसरी सिफारिश पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया। तब से स्कूल दूरी के निजी नियम बना रही है।

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