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डीयू को दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार, कहा- तो क्या अदालत परीक्षा की निगरानी करे

स्नातक और पारास्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए बार-बार आनलाइन ओपन बुक परीक्षा स्थगित किए जाने पर उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की कड़ी खिंचाई की। न्यायालय ने डीयू से कहा कि...

डीयू को दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार, कहा- तो क्या अदालत परीक्षा की निगरानी करे
प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीFri, 10 Jul 2020 12:33 PM
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स्नातक और पारास्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए बार-बार आनलाइन ओपन बुक परीक्षा स्थगित किए जाने पर उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की कड़ी खिंचाई की। न्यायालय ने डीयू से कहा कि परीक्षाएं काफी दबाव डालने वाली होती हैं और हजारों छात्रों का करियर दांव पर लगा हुआ है। डीयू ने बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने 10 जुलाई से होने वाली ओपन बुक परीक्षा स्थगित कर दी है और इसे 15 अगस्त के बाद लाउंच किया जाएगा। 

जस्टिस हीमा कोहली और एस. प्रसाद की पीठ ने अब विश्वविद्यालय से हलफनामा दाखिल कर 13 जुलाई तक परीक्षा का कार्यक्रम बताने कहा है। पीठ ने डीयू प्रशासन से हलाफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि वह परीक्षाएं ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरह से कैसे कराएगा। इसके साथ ही परीक्षा की तारीखों का पूरा विवरण भी पेश करने को कहा है ताकि छात्रों में किसी तरह का भ्रम नहीं रहे। पीठ ने यह आदेश तब दिया जब डीयू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार परीक्षा आयोजित करने की एक नई योजना बनाने के लिए और अधिक वक्त की जरूरत है। उन्होंने इस मसले पर डीयू को समुचित वक्त देने की मांग की।

इस पर पीठ ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से कहा कि यह जानते हुए कि हजारों छात्रों का करियर दांव पर है, फिर भी आप परीक्षाओं को 15 अगस्त से आगे क्यों खिसकाना चाह रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि अंतिम वर्ष के छात्रों को पासिंग आउट सर्टिफिकेट और डिग्री दिया जाने वाला है ताकि वे अपनी आगे की पढ़ाई कर सकें। न्यायालय ने कहा है कि हम सभी परीक्षा प्रक्रिया से गुजरे हैं और यह छात्रों के लिए काफी मशक्कत वाली होती है, लेकिन मौजूदा छात्रों के लिए तो कोरोना महामारी के मद्देनजर और भी परेशानी है। पीठ ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से कहा कि वह यूजीसी द्वारा दिये गए कार्यक्रम पर विचार करे और एक निश्चित तिथि और परीक्षा कार्यक्रम के साथ आये। हालांकि पीठ ने डीयू को परीक्षा कार्यक्रम पेश करने के लिए 13 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
 
न्यायालय डीयू के अंतिम वर्ष के कई छात्रों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिका में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा को लेकर 14 और 30 मई एवं 27 जून को जारी अधिसूचनाओं को रद्द करने या वापस लेने का आदेश देने की मांग की है।


मौक परीक्षा पर भी खिंचाई
उच्च न्यायालय ने आनलाइन ओपन बुक परीक्षा से मौक परीक्षा कराने के तरीके पर भी डीयू की जमकर खिंचाई की। न्यायालय ने कहा कि मौक परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर तकनीकी खामिया सामने आई जो कि उचित नहीं है। उच्च न्यायालय ने विश्विविद्यालय को ओपन बुक परीक्षा से पहले मौक परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था।

तो क्या अदालत परीक्षा की निगरानी करे ...
उच्च न्यायालय ने कहा है कि 26 जून को डीयू ने बताया कि था कि वह एक जुलाई से परीक्षा कराने की तैयारी हो चुकी है। लेकिन 24 घंटे से कम समय बाद ही विश्वविद्यालय ने ओपन बुक परीक्षा 10 जुलाई कराने का निर्णय ले लिया। इस बारे में समुचित जानकारी नहीं देने पर उच्च न्यायालय ने 29 जून को विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करके यह बताने के लिए कहा था कि परीक्षा स्थगित करने के बारे में सूचना नहीं देकर अदालत को गुमराह करने का प्रयास करने को लेकर उसके और उसके अधिकारियों के खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। पीठ ने कहा कि हमने आपसे (डीयू) स्पष्टता के लिए हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था, लेकिन अब हमें पता चला है कि आपने फिर से परीक्षा की तिथि 15 अगस्त से आगे खिसका दी है और कोई निश्चित तारीख भी नहीं बताई है। न्यायालय ने डीयू को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप हमसे क्या करने की उम्मीद करते हैं, क्या आप चाहते हैं कि कोर्ट परीक्षा आयोजित करने को लेकर लगातार आपकी निगरानी करें।
न्यायालय ने कहा है कि हमें यह कहते हुए खेद है कि विश्वविद्यालय पिछले कुछ सप्ताह में जिस तरह से काम किया है, इससे हम (कोर्ट) प्रभावित नहीं हैं।’ दिल्ली विश्वविद्याल ने हलफनामे दाखिल कर पीठ को बताया कि विश्वविद्यालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की एक बैठक परीक्षा संबंधी मामलों को लेकर सात जुलाई को रात साढ़े नौ बजे हुई। साथ ही इस बैठक में यूजीसी द्वारा छह जुलाई को जारी संशोधित दिशानिर्देशों के मद्देनजर घटनाओं पर गौर किया गया। इसके मद्देनजर डीयू ने परीक्षा 15 अगस्त के बाद किसी तिथि तक टालने का निर्णय किया है।

सितंबर के अंत तक पूरी हो सभी परीक्षाएं
यूजीसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि 6 और 8 जुलाई को उसने सभी विश्वविद्यालय को एक दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें सभी विश्वविद्यालय से कहा गया है कि अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा की प्रक्रिया सितम्बर के अंत तक पूरी हो जानी चाहिए। साथ ही परीक्षा लेने का तरीका आनलाइन, आफलाइन या दोनों हो सकता है। न्यायालय ने यूजीसी से यह बताने के लिए कहा कि ‘क्या यूजीसी ने इस बात पर जोर दिया है कि छात्रों को प्रोन्नत करने के लिए परीक्षा संचालित की जाएं। इसके जवाब में मेहता ने कहा कि परीक्षाएं अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य हैं।

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