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दो साल बाद डीएलएड की मान्यता अमान्य, सवालों में एनसीटीई, 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम का मामला

सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए विशेष रूप से आयोजित हुए 18 महीने के डीएलएड को राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) भले ही अब अन्य शिक्षक भर्ती के लिए अमान्य बता रहा हो, लेकिन दो साल पहले खुद...

 दो साल बाद डीएलएड की मान्यता अमान्य, सवालों में एनसीटीई, 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम का मामला
स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। Wed, 09 Oct 2019 08:29 AM
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सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए विशेष रूप से आयोजित हुए 18 महीने के डीएलएड को राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) भले ही अब अन्य शिक्षक भर्ती के लिए अमान्य बता रहा हो, लेकिन दो साल पहले खुद एनसीटीई ने इस कार्यक्रम को मान्यता दी थी। इसमें कार्यक्रम की अवधि को विशेष रूप से दो साल से घटाकर 18 महीने किया गया था। हिन्दुस्तान के पास एनसीटीई की ओर से जारी मान्यता के आदेश की कॉपी उपलब्ध है।

अठारह महीने के डीएलएड कार्यक्रम को उन 15 लाख शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया था, जो अप्रशिक्षित थे और शिक्षा के अधिकार कानून के चलते उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) ने करीब 13 लाख शिक्षकों को यह कोर्स कराया था। इसके लिए संसद में कानून पारित कर विशेष रूप से मंजूरी ली गई थी। हालांकि, यह कोर्स करने के बाद जब बिहार के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने सरकारी भर्ती के लिए आवेदन किया तो बिहार सरकार ने एनसीटीई से इस बारे में राय मांगी कि क्या ये शिक्षक भर्ती के लिए योग्य हैं? इसके जवाब में एनसीटीई ने 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को अमान्य करार दे दिया। एनसीटीई के इस फैसले से इन 13 लाख शिक्षकों पर तलवार लटक गई है। 

आदेश की कॉपी
हिन्दुस्तान को मिले एनसीटीई की ओर से जारी मान्यता के आदेश की कॉपी से यह साबित हो रहा है कि खुद एनसीटीई ने इस कार्यक्रम की अवधि को दो साल से घटाकर 18 महीने करने की मंजूरी दी थी। 22 सितंबर 2017 को एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक सतीश गुप्ता की ओर से जारी इस आदेश में 18 महीने में छह महीने के लिए इंटर्नशिप को भी शामिल कर लिया गया था। 

अधिकारी बताने को तैयार नहीं
इस बारे में जब एनसीटीई के सचिव संजय अवस्थी से बात की गई तो उन्होंने यह कह कर बात करने से इनकार कर दिया कि वे मीडिया से बातचीत के लिए अधिकृत नहीं हैं। वहीं, एनआईओएस के अध्यक्ष प्रो. सीबी शर्मा ने भी इस विषय पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। 

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