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D Pharma vs B Pharma: 12वीं के बाद कौन सा कोर्स बेहतर, जानिए किसमें मिलती है ज्यादा सैलरी

डीफार्मा और बीफार्मा में कौन सा कोर्स बेहतर है यह कहना कठिन है। लेकिन यहां दोनों कोर्सों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं जिनके आधार पर आप चयन कर सकेंगे कि डीफार्मा करना चाहिए या बीफार

D Pharma vs B Pharma:  12वीं के बाद कौन सा कोर्स बेहतर, जानिए किसमें मिलती है ज्यादा सैलरी
Alakha Singhलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 11 Nov 2023 05:21 PM
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मेडिकल फील्ड में करियर बनाने के लिए एमबीबीएस, बीडीएस या बीएएचएमएस में दाखिला न ले पाने वाले युवाओं के पास और कई विकल्प हैं। 12वीं के बाद डॉक्टर बनने के अलावा मेडिकल से जुड़े कई कार्य हैं जिनसे संबंधित डिग्री या डिप्लोमा और निश्चित ट्रेनिंग के बाद आप इस फील्ड में करियर बना सकते हैं। मेडिकल फील्ड से जुड़े इन्हीं कोर्सों में से एक है फार्मैसी। यह कोर्स डीफार्मा या बीफार्मा के नाम से होता है। डीफार्मा यानी डिप्लोमा इन फार्मेसी और बी फार्मा यानी बैचलर ऑफ फार्मैसी। दोनों को 12वीं कक्षा के बाद होते हैं, लेकिन अब छात्रों के सामने दुविधा होगी कि उन्हें कौन सा कोर्स करना चाहिए? किस कोर्स में बेहतर करियर ऑप्शन्स हैं और किसके करने से ज्यादा सैलरी/इनकम हो सकती है। तो आइए हम यहां डीफार्मा व बीफार्मा लेकर कुछ सामान्य जानकारी दे रहें जिसके जरिए आपको कोर्स चुनने में कुछ मदद मिल सकेगी।

डीफार्मा या बीफॉर्मा में अंतर ?
कोर्स ड्यूरेशन की बात करें तो डीफार्मा दो वर्षीय कोर्स होता है जबकि बीफार्मा तीन वर्षीय कोर्स होता है। योग्यता देखें तो दोनों कोर्स 12वीं के बाद किए जाते हैं। लेकिन दोनों में अंतर यह है कि डीफार्मा के लिए कक्षा 12 की परीक्षा साइंस वर्ग (PCM) से की  हो और न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं परीक्षा पास की होगी। वहीं बीफार्मा के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं पीसीबी या 12वीं पीसीएम परीक्षा पास होना जरूरी है।

डी फार्मा में एडमिशन और फायदे: 
डीफार्मा में दाखिले के लिए सभी राज्य अलग-अलग नाम से प्रवेश परीक्षा भी आयोजित करते हैं। यूपी में इसे यूपीसीईटी या यूपीएसईई के नाम से जानते हैं। लेकिन 2023 से कई कॉलेजों में सीयूईटी के जरिए भी डीफॉर्मा में दाखिला दिया जाता है। डीफार्मा प्रवेश परीक्षा पास होने के बाद काउंसिलिंग के जरिए अभ्यर्थियों को संबंधित कॉलेजों में दाखिला दिया जाता है। वहीं शुल्क की बात करें तो सरकारी कॉलेजों में 20 से 40 हजार रुपए सलाना होती है जबकि प्राइवेट कॉलेजों में 40 हजार रुपए से 70 हजार रुपए वार्षिक हे हिसाब से जमा करानी होती है।

डीफार्मा पास करने वाले छात्रों को नौकरी व व्यवसाय दोनों के अवसर उपलब्ध होते हैं। सरकारी नौकरी की बात करें तीनों सेनाओं में फार्मासिस्ट, सरकारी अस्पतालों में बतौर कैमिस्ट जॉब पा सकते हैं। छात्र प्राइवेट अस्पतालों व दवा कंपनियों में भी नौकरी पा सकते हैं। वहीं बिजनेस में रुचि रखने वाले अभ्यर्थी खुद का मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं। डीफार्मा वालों के वेतन की बात करें तो सरकारी नौकरी में 40 से 60 हजार रुपए प्रतिमाह तक मिलते हैं। जबकि मेडिकल स्टोर चलाने में स्टोर की साइज, लोकेशन आदि बातों पर आय निर्भर करती है।

बीफार्मा में एडमिशन और इसके फायदे:
डीफार्मा की तरह बीफार्मा में भी दाखिला प्रवेश परीक्षा के जरिए होता है। उत्तर प्रदेश में इसे यूपीएसईई के नाम जानते हैं जबकि दूसरे राज्यों में बीआईटीएसएटी, जीपीएटी, एमईटी और डब्ल्यूबीजेईई आदि नामों से जानते हैं। प्रवेश परीक्षा में नाम आने के बाद अभ्यर्थियों को रैंक के हिसाब से सरकारी या प्राइवेट कॉलेज मिलता है। बीफार्मा में फीस की बात करें तो 15 हजार रुपए से डेढ़ लाख रुपए सालाना तक फीस देनी होती है।

बीफार्मा के बाद जॉब की बात करें इससे भी फार्मासिस्ट की प्राइवेट या सरकारी नौकरी मिलती है। बीफार्मा वाले अभ्यर्थियों को एसएससी, यूपीएससी या राज्य लोक सेवा आयोग जरिए भी सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में नौकरी मिलती है। किसी राज्य में ड्रग इंस्पेक्टर की वैकेंसी निकलती है तो उसमें भी बीफार्मा वाले अभ्यर्थी  ही आवेदन कर सकते हैं। वहीं सैलरी की बात करें तो बीफार्मा वालों को भी बतौर फार्मासिस्ट 40 से 60 हजार रुपए प्रतिमाह कमाने का मौका मिलता है। जबकि प्राइवेट अस्पताल व दवा कंपनियों में अनुभव व योग्यता के अनुसार वेतन बढ़ता जाता है। वहीं ड्रग इंस्पेक्टर के तौर पर भी आप 60 हजार से 80 रुपए रुपए तक कमा सकते हैं। बीफार्मा करने वाले अभ्यर्थी मेडिकल स्टोर के साथ मेडिकल कंपनी भी शुरू कर सकते हैं जिसमें अनलिमिटेड कमाई हो सकती है।

बीफार्मा या डी फार्मा बेहतर?
छात्र को बीफार्मा करना है या डीफार्मा करना है यह उसकी रुचि और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। लेकिन दोनों कोर्स अपने स्थान पर महत्वपूर्ण हैं और दोनों का महत्व है। कम समय व कम लागत के लिए डीफार्मा अच्छा हो सकता है तो लॉन्ग टर्म में करने की इच्छा रखने वालों के लिए बीफार्मा बेहतर हो सकता है।
 

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