UGC ने कोर्ट में कहा, डीयू के 5 वर्षीय लॉ कोर्स में CUET से नहीं CLAT से ही हो दाखिला
UGC ने दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों को सीयूईटी के बजाय केवल क्लैट यूजी 2023 के आधार पर पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका का विरोध किया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों को सीयूईटी के बजाय केवल क्लैट यूजी 2023 के आधार पर पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के फैसले के खिलाफ एक याचिका के जवाब में मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि यह पाठ्यक्रम पेशेवर डिग्री कार्यक्रम है जिसमें प्रवेश के लिए विद्यार्थियों के चयन में अलग-अलग मानदंडों की आवश्यकता हो सकती है।
यूजीसी ने मामले में दायर जवाबी हलफनामे में याचिका को खारिज करने की मांग की और कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अपनी अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद की मंजूरी के साथ 'साझा विधि प्रवेश परीक्षा' ( क्लैट) के माध्यम से छात्रों को अपने एकीकृत कानूनी पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का संकल्प जताया है। क्लैट एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है जिसे मुख्य रूप से प्रमुख राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया जाता है।
केंद्र सरकार पहले कह चुकी है कि संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा कि इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून आदि जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश मानक उनकी विशेष प्रकृति और विशिष्ट कौशल आदि से तय होते हैं और इसलिए प्रत्येक पाठ्यक्रम को विशिष्ट पूर्वावश्यकताओं द्वारा निर्देशित किए जाने की आवश्यकता है।
केंद्र ने इस मामले में एक जवाब में कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता वाले उच्च योग्य स्वतंत्र बोर्डों द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों के शासन की भी परिकल्पना है...दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रवेश नोटिस को रद्द करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती है।”
पिछले महीने, मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने केंद्र और यूजीसी से प्रिंस सिंह की याचिका पर अपने विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा था। उस समय केंद्र के वकील ने कहा था कि सीयूईटी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन यूजीसी के वकील ने इसके विपरीत रुख व्यक्त किया था।
यूजीसी द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया, “यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि पांच वर्षीय एकीकृत कानून कार्यक्रम एक पेशेवर डिग्री कार्यक्रम है, और इस पेशेवर डिग्री कार्यक्रम में प्रवेश के लिए छात्रों का चयन करने के लिए मूल्यांकन/आकलन के संदर्भ में विभिन्न मानदंडों की आवश्यकता हो सकती है। उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, अत्यंत विनम्रतापूर्वक यह प्रार्थना की जाती है कि इस याचिका को इस माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया जाए।”
याचिकाकर्ता ने कहा था कि डीयू द्वारा पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम में सीएलएटी-यूजी 2023 की मेरिट के आधार पर दाखिला देना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका में मांग की गई है कि पांच वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश सीयूईटी-यूजी, 2023 के माध्यम से हो।
