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बिहार के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को नैक मान्यता को मिले और तीन माह

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) मान्यता के लिए राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बड़ी राहत मिल गयी है। परिषद ने नैक मान्यता के लिए वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट (एक्यूएआर) अपलोड

बिहार के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को नैक मान्यता को मिले और तीन माह
Alakha Singhहिन्दुस्तान ब्यूरो,पटनाSat, 04 Mar 2023 07:06 PM
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राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) मान्यता के लिए राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बड़ी राहत मिल गयी है। परिषद ने नैक मान्यता के लिए वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट (एक्यूएआर) अपलोड करने के लिए तीन माह की अवधि बढ़ा दी है। अब उच्च शिक्षण संस्थान 31 मई तक नैक मान्यता के लिए एक्यूएआर अपलोड कर सकेंगे। दरअसल, यह अवधि 28 फरवरी को ही खत्म हो चुकी थी, लेकिन बड़ी संख्या में सूबे के कॉलेज और विश्वविद्यालयों ने आवेदन नहीं किया था। उन्हें एक और अवसर प्रदान किया गया है। यही नहीं वे अपने शैक्षणिक संस्थान का वर्ष 2016-17 से वर्ष 2021-22 तक की अवधि का एक्यूएआर तैयार कर सकते हैं।

पिछले दिनों प्रदेश के 100 से अधिक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने नैक मान्यता के लिए रुचि दिखलाई थी। लेकिन, बड़ी संख्या में कॉलेज छूट गए थे। इस समय सूबे में 272 सरकारी व 300 निजी कॉलेज हैं। इनमें अभी केवल 41 ही नैक से मान्यता प्राप्त हैं। नैक के अनुसार मार्च 2020 में बिहार में 134 कॉलेज मान्यता प्राप्त थे। ढाई साल पहले के 134 मान्यता प्राप्त कॉलेज में से 108 सरकारी और 25 सम्बद्ध कॉलेज हैं। केवल एक स्वायत्त की श्रेणी में हैं। अब मान्यता प्राप्त कॉलेज में 27 सरकारी जबकि 07 सम्बद्ध कॉलेज और 2 स्वायत्त ही हैं। ऐसे में कई कॉलेज अभी भी मान्यता प्राप्त कॉलेज की सूची से बाहर ही रह गए हैं। वैसे संस्थानों के लिए ये सुनहरा अवसर प्रदान किया गया है।

हालांकि मान्यता बनाए रखने के लिए इन्हें 31 मई तक इंस्टीट्यूशनल इंफार्मेशन फॉर क्वालिटी एसेसमेंट (आईआईक्यूए) और सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) भी अपलोड कर लेने की तैयारी करनी होगी। इसी आधार पर उन्हें आगे राहत मिलेगी। पिछले दिनों नैक ने कोरोना काल में मान्यता गंवा चुके कॉलेजों को नैक मूल्यांकन के लिए आईआईक्यूए अपलोड करने के लिए अवसर दिया था। लेकिन, उसे अब और विस्तारित कर दिया गया है।

सरकार जाहिर कर चुकी है नाराजगी:
नैक मान्यता के लिए कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की सुस्ती पर सरकार कई बार नाराजगी जाहिर कर चुकी है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने नैक मान्यता हर हाल में लेने की चेतावनी भी दी थी। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में गंभीर है। उन्होंने बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद को इसको लेकर व्यापक अभियान चलाने को भी कहा है।

अनुदान के लिए आवश्यक है नैक मूल्यांकन:
जो कॉलेज नैक मूल्यांकित नहीं होंगे, उन्हें राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान से अनुदान मिलने में परेशानी होगी। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान विश्वविद्यालय व कॉलेजों के विकास के लिए राशि देता है। अनुदान के लिए हर हाल में नैक मूल्याकंन आवश्यक है। अच्छे मूल्यांकित कॉलेज, विश्वविद्यालय से पढ़ने वाले छात्रों को कैरियर बनाने में काफी मदद मिलती है। कई संस्थाओं में उच्चतर शिक्षा में नामांकन में परेशानी होती है। नौकरी में भी दिक्कतें आती हैं। नैक मूल्यांकन से छात्र-शिक्षण संस्थान की भी पहचान मिलती है।

लगातार हो रहे कार्यशालाओं का आयोजन:
बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद की ओर से नैक मान्यता से संबंधित जानकारी के लिए लगातार कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। राज्य स्तर पर विश्वविद्यालय स्तर पर, जिल स्तर पर कई कार्यशालाएं आयोजित की गयी हैं। चार दिवसीय कार्यशाला 24, 25, 26 व 27 दिसंबर, 2022 को हुई। राजधानी पटना के चन्द्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में आयोजित कार्यशाला में 92 कॉलेजों को प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद ए.एन. कॉलेज में तीन दिवसीय हैंड हौल्डिंग सपोर्ट प्रदान किया गया, जिसमें 28 कॉलेज को बुलाकर एक्यूएआर तैयार करवाया गया। फिर 17 फरवरी को 138 कॉलेजों की कार्यशाला आयोजित की गयी।

‘उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए नैक बहुत आवश्यक है। अवधि बढ़ने के बाद कॉलेजों-विश्वविद्यालयों के पास बेहतर अवसर है। हालांकि कॉलेजों-विश्वविद्यालयों ने इसमें दिलचस्पी दिखलायी है। इसकी गति भी काफी तेज है। सरकार का प्रयास है कि अधिक से अधिक संस्थान नैक मूल्यांकित हों।’

- प्रो एन.के. अग्रवाल, राज्य नोडल पदाधिकारी सह शैक्षणिक सलाहकार, बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद 
 

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