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उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों की दहशत और सायरन के शोर के बीच की तैयारी, लाए बेहतर परिणाम

उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाके में बेटियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल बी 2 यमुना विहार वह स्कूल है जहां पर दंगाग्रस्त इलाकों की लड़कियां पढ़ने आती...

उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों की दहशत और सायरन के शोर के बीच की तैयारी, लाए बेहतर परिणाम
प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीThu, 16 Jul 2020 03:28 PM
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उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाके में बेटियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल बी 2 यमुना विहार वह स्कूल है जहां पर दंगाग्रस्त इलाकों की लड़कियां पढ़ने आती थी। भजनपुरा, चांदबाग, यमुना विहार, घोंडा सहित अन्य इलाकों की छात्राओं ने दहशत, आक्रोश, भय और सायरन की आवाजों के बीच पढ़ाई की है और बेहतर परिणाम ला कर खुद को साबित भी किया है। इस स्कूल की प्रिंसिपल कंचन जैन बताती हैं कि मुझे बहुत खुशी है कि छात्राओं ने हमारे यहां बेहतर किया है। कुल 332 छात्राओं में से 310 छात्राएं उत्तीर्ण हुई हैं। विगत वर्ष की अपेक्षा हमारे यहां का परीक्षा परिणाम 3.74 फीसद बढ़ा है। यदि इस इलाके में दंगे न होते और बेहतर परिणाम आता।

दंगों के शोर के बीच पढ़ाई कर स्कूल में आई अव्वल, इंजीनियर बनना चाहती है गौरी 
गौरी श्रीवास्तव ने 10वीं में 97.6 फीसद अंक अर्जित किया है। गौरी बताती हैं कि वह आईआईटी इंजीनियर बनना चाहती हैं। इसके लिए वह अभी से तैयारी भी करना चाहती हैं। सबसे अधिक गणित में 99 फीसद अंक हैं। दंगा ग्रस्त इलाकों में भय का माहौल था। इसलिए मैं रात में ही पढ़ाई करती थी। मेरे पेपर दंगों के बाद हुआ। इससे पहले के पेपर हिंदी और अंग्रेजी दंगों के कारण नहीं हुए। गौरी अपने स्कूल में पहले स्थान पर हैं। 


गौरी के पिता विनय श्रीवास्तव मूलत बहराइच से हैं। वह इलेक्ट्रिक लाइट के वितरक हैं। वह बताते हैं कि मैं काम करता हूं और पत्नी घर संभालती हैं। तीन बेटियां हैं। एक यूपीएससी की तैयारी करती है दूसरी 12वीं इस साल पास की है और तीसरी गौरी है। बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। अगर दंगा नहीं होता तो मेरी बेटी 100 फीसद अंक लाती।

गलियों में घूमती थी पुलिस लेकिन पढ़ाई से नहीं हुई दूर 
गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल बी-2 यमुना विहार में दूसरे स्थान पर आई पलक साद 93.8 फीसद अंक पाई हैं। पलक बताती हैं कि मैं मौजपुर में रहती हूं मेरे पिता का जिंस पेंटिंग का काम है। मां गृहिणी हैं। मेरा इलाका भी दंगाग्रस्त क्षेत्र में था यहां गलियों में पुलिस घूमती थी लेकिन मैं पढ़ाई से एक दिन भी दूर नहीं हुई। अगर दंगों के कारण मेरे इलाके में हिंदी और अंग्रेजी के पेपर नहीं हुए। अगर यह प्रश्नपत्र भी मैं देती तो निश्चित तौर पर अधिक अंक आते। 

दहशत में रहकर की पढ़ाई, स्कूल में आया तीसरा स्थान 
मानसी ने 10वीं में 500 में 463 अंक अर्जित किए हैं। वह बताती हैं कि दिन में दंगों के शोर और भय से मन में दहशत रहती थी और रात में सायरन का शोर पढ़ने नहीं देता। लेकिन उसी माहौल में मैं पढ़ रही थी। अगर दंगे नहीं होते तो मैं और बेहतर अंक लाती। मानसी बताती हैं कि पिता का 2016 में निधन हो गया। घर का  खर्च मां घर पर और बाहर ट्यूशन पढ़ाकर पूरी करती हैं। मेरा भाई 8वीं में है। गणित में 97 अंक अर्जित करने वाली मानसी डाक्टर बनना चाहती हैं।

मानसी की मांग सीमा बताती हैं कि दंगों के कारण एक दहशत का माहौल था। नूर ए इलाही इलाके के पास मेरा घर है। दिन और रात दोनों वक्त चिंता रहती थी। बेटी ने बहुत मेहनत की। ऐसे माहौल में भी उसने पढ़ाई की और बेहतर अंक लाए। 

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