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BRABU : पूर्व रजिस्ट्रार के फर्जी साइन से विश्वविद्यालय में निकला नियुक्ति पत्र

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पूर्व रजिस्ट्रार प्रो. आरके ठाकुर के फर्जी हस्ताक्षर बड़ी संख्या में नियुक्ति पत्र निकाले गए हैं। ये नियुक्ति पत्र विश्वविद्यालय में थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नियुक्ति के ह

BRABU : पूर्व रजिस्ट्रार के फर्जी साइन से विश्वविद्यालय में निकला नियुक्ति पत्र
Alakha Singhवरीय संवाददाता,मुजफ्फरपुरFri, 09 Jun 2023 10:54 PM
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बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पूर्व रजिस्ट्रार प्रो. आरके ठाकुर के फर्जी हस्ताक्षर बड़ी संख्या में नियुक्ति पत्र निकाले गए हैं। ये नियुक्ति पत्र विश्वविद्यालय में थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नियुक्ति के हैं। मामला सामने आने पर नए रजिस्ट्रार प्रो. संजय कुमार ने नियुक्ति रोक लगा दी है। इसको लेकर उन्होंने सभी प्राचार्यों, विभागाध्यक्षों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने ऐसे किसी भी व्यक्ति को ज्वाइन नहीं कराने को कहा है।

रजिस्ट्रार ने बताया कि उन्हें कई जगह से सूचना मिली की कुछ लोगों के पास विश्वविद्यालय में नौकरी का नियुक्ति पत्र है जिसे लेकर वह कॉलेज और विभाग में जा रहे हैं। विश्वविद्यालय की तरफ से ऐसी कोई नियुक्ति नहीं की गई है, इसलिए तत्काल इस पर रोक लगा दी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन अब इसकी जांच में जुट गया है कि यह पत्र कैसे और कहां से जारी हुए हैं। मामले में दोषी पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्ति का खेल नया नहीं है। इससे पहले वर्ष 2020 में तत्कालीन रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार राय के फर्जी हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था। इस मामले में साइबर एक्ट में मामला दर्ज किया गया था और कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। इसके बाद पूर्व रजिस्ट्रार प्रो. राम कृष्ण ठाकुर के ही फर्जी हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया था। इस पर रजिस्ट्रार ने एफआईआर दर्ज कराई थी।

वहीं, विश्वविद्यालय से जुड़े कर्मियों ने बताया कि दो दिन पहले स्टोर में कई लोग जुट गण थे और अपनी नियुक्ति की फाइल खोजने का दबाव बना रहे थे। कर्मियों का कहना था कि वहां ऐसी कोई फाइल नहीं आई, लेकिन बाहर से आये लोग कर्मियों पर लगातार दबाव बना रहे थे वह उनकी नियुक्ति की फाइल निकालें। इसके बाद कर्मी स्टोर में ताला लगाकर चले गए।

उधर, बीआरएबीयू में एक बार फिर फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने कहा कि यहां इसका कोई रैकेट काम कर रहा है जो बार-बार फर्जी हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी कर रहा है। इससे पहले भी नियुक्ति पत्र जारी हो जाने के बाद तत्कालीन रजिस्ट्रार ने सभी प्राचार्यों को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाई थी। कुछ लोगों का कहना था कि विश्वविद्यालय में दलाल सक्रिय हैं जो किसी कर्मी के मिलीभगत से रजिस्ट्रार के साइन की नकल कर ऐसी नियुक्तियों के पत्र बांट दे रहे हैं।

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