बिहार की दो बड़ी यूनिवर्सिटी में सवर्ण आरक्षण से विद्यार्थी वंचित
बिहार के दो बड़े विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर के विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकन लेने वाले आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्ण इस बार आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाएंगे। दरअसल पटना विवि और...
बिहार के दो बड़े विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर के विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकन लेने वाले आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्ण इस बार आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाएंगे। दरअसल पटना विवि और पाटलिपुत्र विवि में स्नातक में आवेदन की तिथि समाप्त हो चुकी है। लेकिन नामांकन के लिए आवेदन करते समय आरक्षण की कोटियों में इस कोटि का जिक्र न होने से छात्रों में भारी निराशा है। दोनों विश्वविद्यालयों की वेबसाइट पर जारी आवेदन के प्रारूप में इस कोटि का जिक्र न होने से छात्र आक्रोशित हैं। छात्रों का कहना है कि उन्हें मिले संवैधानिक लाभ से विवि द्वारा वंचित किया जा रहा है जबकि विवि प्रशासन इस बाबत सरकार द्वारा किसी प्रकार का निर्देश न मिलने की बात कह इसे टाल रहा है।
इधर आवेदन करने वाले छात्रों का कहना है कि पीयू और पीपीयू प्रशासन की लापरवाही की वजह से आर्थिक रूप से पिछले सवर्णों को नामांकन में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से 26 फरवरी को अधिसूचना जारी कर बिहार भर के शैक्षणिक संस्थानों में तत्काल प्रभाव से नामांकन और बहाली में इसे लागू करने को कहा गया था। अधिसूचना के अनुसार आरक्षण अधिनियम 2019 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है। इस नियमावली को ''बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों तथा शैक्षणिक संस्थानों के नामांकन में (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए) आरक्षण नियमावली'' नाम दिया गया है।
इधर पूरे मामले में पटना विवि का कहना है कि सरकार की ओर से विवि को इस बाबत कोई निर्देश नहीं आया है। पटना विवि के कुलपति डा. रासबिहारी सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने स्तर पर विवि की नामांकन प्रक्रिया में इसे लागू करने के लिए ऐसे किसी निर्देश के बारे में पता लगाने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई पत्र नहीं मिलने से आरक्षण के पुराने नियमों के अनुसार ही नामांकन की प्रक्रिया जारी रखी गई है। सरकार के द्वारा ऐसा कोई निर्देश आते ही आरक्षण से जुड़े नए प्रावधानों को लागू कर दिया जाएगा। हालांकि कुलपति ने कहा कि अभी नामांकन की प्रक्रिया चल ही रही है। अगर अब भी ऐसा कोई निर्देश आता है तो उसे अमल में लाया जाएगा।