बिहार बीएड दाखिला 2020: नियम बदले, कॉमर्स से स्नातक करने वाले भी कर सकते हैं आवेदन
बिहार के बीएड कॉलेजों में दाखिले के लिए नियम में संशोधन किया गया है। कॉमर्स से स्नातक करने वाले छात्र-छात्राएं भी बीएड कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं। अब तक बीएड कोर्स में कॉमर्स से स्नातक...
बिहार के बीएड कॉलेजों में दाखिले के लिए नियम में संशोधन किया गया है। कॉमर्स से स्नातक करने वाले छात्र-छात्राएं भी बीएड कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं। अब तक बीएड कोर्स में कॉमर्स से स्नातक करने वाले छात्रों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने का मौका नहीं दिया जाता था। इस बार ललित नारायण मिथिला विवि, दरभंगा को संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन करने की जिम्मेवारी दी गई है। ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आधार पर होने वाले दाखिले में दस प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। पिछली बार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को दाखिले में दस प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ नहीं मिल सका था।
वहीं, अनारक्षित के लिए 40 प्रतिशत सीटें तय की गई हैं। अन्य वर्गों में एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी के लिए 50 प्रतिशत सीटें हैं जबकि देश के आईआईटी और एनआईटी में दाखिले में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए दस प्रतिशत सीटें बढ़ाई गई हैं पर एनसीटीई ने तय सीटों में इजाफा नहीं किया है। तय सीटों में ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को जगह दी गई है। इसके अलावा नए संशोधन में इस बार दाखिले में दिव्यांग छात्रों को पांच प्रतिशत का लाभ मिलेगा। इनमें एक प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इस संबंध में राजभवन की ओर से सभी कुलपतियों को पत्र भेज दिया गया है। इसका पालन अक्षरश: करने का निर्देश दिया गया है।
छात्रों को क्वालिफाई करने के लिए 35% अंक
इस बार 36,400 में प्रवेश परीक्षा में तीन गुना सफल छात्रों को काउंसिलिंग में बुलाने का बैरियर हटा दिया गया है। अब इससे ज्यादा छात्रों को बुलाया जाएगा। राजभवन द्वारा बनाई गई नियमावली के अनुसार परीक्षा में सामान्य श्रेणी के छात्रों को क्वालिफाई के लिए 35 प्रतिशत व अन्य वर्गों के परीक्षार्थियों के लिए 30% अंक प्रवेश परीक्षा में क्वालिफाइंग रखा गया है।
संयुक्त प्रवेश परीक्षा
- दिव्यांग छात्रों के लिए कोटे से पांच फीसदी सीटें रहेंगी आरक्षित
- आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए दस फीसदी सीटें होंगी आरक्षित