Beating Retreat 2023 : जानें क्यों और क्या होती है बीटिंग रिट्रीट, क्या है इस बार खास
Beating Retreat: कल विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस बार का बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम बेहद खास होने जा रहा है। इस साल भारत में अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन डिस्प्ले भी होगा।
इस खबर को सुनें
Beating Retreat 2023 : आज दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस बार का बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम बेहद खास होने जा रहा है। इस साल भारत में अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन डिस्प्ले भी होगा। ड्रोन शो में 3,500 स्वदेशी ड्रोन दिखाई देंगे जो रायसीना हिल के ऊपर आकाश को रोशन करेंगे। ‘बीटिंग द रिट्रीट’ असल में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक है। इस कार्यक्रम में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। हर वर्ष गणतंत्र दिवस के बाद 29 जनवरी की शाम को 'बीटिंग द रिट्रीट' ( Beating The Retreat ) सेरेमनी का आयोजन किया जाता है।
रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट के साथ ही होता है। 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह की तरह यह कार्यक्रम भी देखने लायक होता है। इसके लिए राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक बेहद सुंदर रोशनी के साथ सजाया जाता है।
क्यों और क्या होती है बीटिंग रिट्रीट?
'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है। लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था। समारोह में राष्ट्रपति बतौर चीफ गेस्ट शामिल होते हैं।
विजय चौक पर राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है। इसी दौरान राष्ट्रगान जन गण मन होता है। तिरंगा फहराया जाता है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं।
बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है। इस दौरान बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं। इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन "सारे जहां से अच्छा" बजाते हैं।