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अग्निवीर भर्ती : रेस और शारीरिक परीक्षा में सफल लेकिन धूर्तता 482 को ले डूबी, पकड़ी गई चालाकी

Agniveer Bharti : अग्निपथ योजना के तहत वाराणसी के सेना कार्यालय से जनरल ड्यूटी, टेक्निकल और क्लर्क ग्रेड स्टाफ की भर्ती रैली खत्म हो गई है। रैली में वाराणसी समेत 12 जनपदों के अभ्यर्थी शामिल हुए।

अग्निवीर भर्ती : रेस और शारीरिक परीक्षा में सफल लेकिन धूर्तता 482 को ले डूबी, पकड़ी गई चालाकी
Pankaj Vijayकार्यालय संवाददाता,वाराणसीThu, 08 Dec 2022 05:47 AM

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अग्निपथ योजना के तहत वाराणसी के सेना कार्यालय से जनरल ड्यूटी, टेक्निकल और क्लर्क ग्रेड स्टाफ की भर्ती रैली खत्म हो गई है। रैली में वाराणसी समेत 12 जनपदों के अभ्यर्थी शामिल हुए। अग्निवीर बनने की दिशा में पहली बाधा 1600 मीटर की रेस थी। तय समय में यह रेस पूरी कर शारीरिक परीक्षा में 9279 पास हुए। इनमें भी कागजों में हेरफेर के कारण अंतिम दौर में 482 को बाहर कर दिया गया।  अग्निवीरों की भर्ती में उम्र को लेकर खेल किये जाने की आशंका पहले से थी। अन्य सेना भर्ती कार्यालयों की ओर से कराई गई भर्तियों में ऐसी गड़बड़ियां पकड़े जाने के बाद वाराणसी में पहले से इसके लिए अलग सेल बनाया गया था। 

ग्रीवांस सेल इस पर नजर रखती थी। रेस व शारीरिक परीक्षा में पास होने के बाद अभ्यर्थियों के कागजातों की गहराई से छानबीन की जाती थी। छावनी में 16 नवंबर से छह दिसंबर तक चली रैली में 482 अभ्यर्थी इसीलिए आधार पर बाहर कर दिये गये।

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हाईस्कूल के अंक पत्र और आधार में अधिक गड़बड़ियां 
ग्रीवांस सेल की नजर में सबसे अधिक गड़बड़ी हाईस्कूल के अंक पत्र और आधार कार्ड में मिलीं। अधिकतर युवकों ने फर्जी अंकपत्र बनवाया था, ताकि उम्र घटाकर भर्ती में शामिल हो सकें। पिछली भर्तियों में शामिल होने से इनके बारे में पूरा विवरण सेना के पास था, इसलिए वे पकड़े गये। वहीं आधार में भी गड़बड़ियां मिलीं। कुछ अभ्यर्थियों के आधार और हाईस्कूल के अंकपत्र में नाम समान न होने से निष्कासित किया गया। सबसे अधिक गड़बड़ी बलिया और देवरिया के अभ्यर्थियों के कागजात में पकड़ी गई।

रेस में सफल होने का औसत सात फीसदी भी नहीं
अग्निवीर बनने को वाराणसी, आजमगढ़, बलिया, चंदौली, देवरिया, जौनपुर, गाजीपुर, गोरखपुर, मऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र, संत रविदास नगर (भदोही) के एक लाख 43 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया। इसमें रेस में सफल होने वाले 10 हजार से भी कम रहे। यानी सात फीसदी से भी कम युवक रेस में सफल हो पाये। 

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