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इलाहाबाद विश्वविद्यालय : सरकार की रैंकिंग में पूरब का ऑक्सफोर्ड लगातार तीसरी बार फिसड्डी

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की 2021 की संस्थागत रैकिंग जारी कर दी। पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय की रैंकिंग में इस...

इलाहाबाद विश्वविद्यालय : सरकार की रैंकिंग में पूरब का ऑक्सफोर्ड लगातार तीसरी बार फिसड्डी
संवाददाता,प्रयागराजFri, 10 Sep 2021 08:54 AM

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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की 2021 की संस्थागत रैकिंग जारी कर दी। पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय की रैंकिंग में इस बार भी सुधार नहीं हुआ। रैंकिंग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय  लगातार तीसरी बार देशभर के शीर्ष 200 उच्च शैक्षिक संस्थानों की सूची से बाहर है। एमएनएनआईटी की रैंकिंग में सुधार हुआ है। यह संस्थान देश के शीर्ष 100 उच्च शैक्षिक संस्थानों में 88वें स्थान पर है जबकि पिछले साल की रैंकिग में यह पांच पायदान नीचे 93वें स्थान पर था। देश के टॉप-200 उच्च शैक्षिक संस्थानों में ट्रिपलआईटी का नाम नहीं है। गत वर्ष की तुलना में इसकी रैंकिंग में सुधार आया है। 

प्रो. संगीता श्रीवास्तव ( कुलपति, इविवि) ने कहा , 'पिछले कुछ महीनों से विश्वविद्यालय की स्थिति में सुधार के लिए काफी प्रयास किया जा रहा है। इनका असर भले ही इस वर्ष की रैंकिंग पर नहीं दिख रहा हो पर आगे जरूर दिखेगा क्योंकि किसी भी संस्थान की एनआईआरएफ रैंकिंग लंबे समय के प्रयासों का नतीजा होती है।'

बेहतरी की उम्मीदों को झटका
शिक्षा मंत्रालय (पूर्व में एचआरडी मंत्रालय) ने वर्ष 2016 से रैंकिंग की व्यवस्था लागू की। उस वर्ष इविवि को देशभर के विश्वविद्यालयों में 68वां स्थान मिला था। 2017 में 27 पायदान की गिरावट के साथ इविवि 95वें स्थान पर चला गया था। 2018 की रैंकिंग में देश के शीर्ष-100 विश्वविद्यालयों की सूची से बाहर हो गया था। 2018 में इविवि को 144वां स्थान मिला था। वर्ष 2019 में स्थिति और ज्यादा खराब हुई और इविवि देशभर के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों की सूची से भी बाहर हो गया। शोध कार्यों और खास तौर से  विज्ञान संकाय के शिक्षकों को विभिन्न मंत्रालयों और शोध संस्थानों से मिले रिसर्च प्रोजेक्ट को देखते हुए इविवि के शिक्षक इस बार रैंकिंग में बेहतरी की उम्मीद लगाए हुए थे पर गुरुवार को उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। 125 वर्ष से भी पुराना इविवि लगातार तीसरी बार देश के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में स्थान बना पाने में नाकाम रहा।

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