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सरकारी स्कूल के बच्चे गणित में हुए होशियार,केस स्टडी में खुलासा

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की गणित हल करने की क्षमता बढ़ गई है। इसके साथ ही अब वे बिना गलतियों के हिंदी भी पढ़ पाते हैं। कक्षा तीसरी से लेकर पांचवी तक के बच्चों में यह सुधार 20 फीसदी तक दिखा...

सरकारी स्कूल के बच्चे गणित में हुए होशियार,केस स्टडी में खुलासा
कार्यालय संवाददाता,नई दिल्लीSun, 08 Dec 2019 06:29 AM
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सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की गणित हल करने की क्षमता बढ़ गई है। इसके साथ ही अब वे बिना गलतियों के हिंदी भी पढ़ पाते हैं। कक्षा तीसरी से लेकर पांचवी तक के बच्चों में यह सुधार 20 फीसदी तक दिखा है। पिछले वर्ष से चलाई जा रही मिशन बुनियाद के बाद यह संभव हो सका है। मिशन बुनियाद की सार्थकता को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में केस स्टडी रिपोर्ट जारी करते हुए यह बात कही।

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ने मिशन बुनियाद को लेकर यह रिपोर्ट तैयार की है।  रिपोर्ट जारी होने के दौरान डीसीपीसीआर अध्यक्ष रमेशी नेगी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। डीसीपीसीआर सदस्य अनुराग कुंडू की देखरेख में यह रिपोर्ट तैयार हुई है।

सच जानने के बाद भी उसे नहीं स्वीकारते : उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आमतौर पर हम अपना सच जानते हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं करते हैं। इस कारण उसको हम ठीक नहीं कर पाते हैं। इसे लेकर सार्वजनिक तौर पर बात होनी चाहिए, जिससे पता चल सके कि कहां खड़े थे और किस दिशा में जाना है। यह रिपोर्ट उस दिशा में बड़ा कदम है।

शिक्षकों पर पाठ्यक्रम समाप्त करने का दबाव : मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षक पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन किताबें, परीक्षा बोर्ड, पाठ्यक्रम, स्कूल कैलेंडर और शिक्षा निदेशालय से शिक्षकों पर जल्द से जल्द पाठ्यक्रम समाप्त करने का दबाव बनता है। ऐसी स्थिति में शिक्षक को समझ नहीं आता कि वह बच्चे को पढ़ाए या पाठ्यक्रम को पूरा करें।

हमें खुद से पूछने की जरूरत है कि अगर छात्रों को पढ़ाए जा रहे विषयों को नहीं समझा गया तो पाठ्यक्रम के पूरा करने से क्या फायदा होगा। यह रिपोर्ट शिक्षक के लिए नहीं, बल्कि सब के लिए है, जो पाठ्यक्रम को तैयार
करते हैं।

2125 छात्र शामिल  
उत्तर-पूर्वी जिला के 30 सरकारी स्कूलों पर यह स्टडी कराई गई। इसमें तीसरी से नौवीं के 2125 छात्रों, 380 शिक्षकों और 790 अभिभावकों को शामिल किया गया था। कक्षा तीसरी से लेकर पांचवी तक बच्चों की संख्या 455 थी। इसमें 200 लड़के और 255 लड़कियां थीं। कक्षा छठी से नौवीं तक के 1670 बच्चे थे, जिसमें 760 लड़के और 910 लड़कियां शामिल थीं।

हिंदी भी सुधरी  
रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा तीसरी से लेकर पांचवी तक के छात्रों की हिंदी पढ़ने की क्षमता में 12 फीसदी का सुधार देखने को मिला है, जबकि छठी से नौंवी तक में 15 फीसदी का सुधार हुआ। गणित हल करने की क्षमता में कक्षा तीसरी से लेकर पांचवी तक के बच्चों में 20 फीसदी तक सुधार दिखा है, छठी से नौवीं के छात्रों में 25 फीसदी की बेहतरी देखने को मिली है।

तीन महीने का प्रयास
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसी कक्षा में 30 बच्चे थे, जो ठीक पढ़ भी नहीं पाते थे। अगर मेहनत के बाद संख्या 15 हुई तो यह सफलता की बात है। तीन महीने के प्रयास से यह सब संभव हुआ। इस रिपोर्ट में हमारे सामूहिक प्रयास की सफलता को दर्शाया गया है। मिशन बुनियाद को पिछले साल शैक्षणिक सत्र 2018-19 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था।  

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