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Hindi News करियरIndependence Day Histrory: क्या आप इन 5 वीरांगनाओं की वीर गाथा जानते हैं, अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ी थीं डटकर

Independence Day Histrory: क्या आप इन 5 वीरांगनाओं की वीर गाथा जानते हैं, अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ी थीं डटकर

हमारे देश में ऐसी बहुत सारी वीरांगनाएं हैं, जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे,जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया था। आइए आपको दुर्गा भाभी, कल्पना दत्त और रानी चेनम्मा की वीर गाथा बतात

Independence Day Histrory: क्या आप इन 5 वीरांगनाओं की वीर गाथा जानते हैं, अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ी थीं डटकर
Prachiलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 10 Aug 2024 10:36 PM
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Independence Day 2024 Histrory: हमारे देश इस वर्ष आजादी के 76 वर्ष मनाने जा रहा है। 15 अगस्त हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है, इस दिन हमारे देश को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आजादी को पाना इतना आसान काम नहीं था, लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी शहादत दी है तब जाकर हमें आजादी मिली है। लक्ष्मीबाई, भिकाजी कामा और बेगम हजरत महल को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप दुर्गा भाभी, कल्पना दत्त, दुर्गाबाई देशमुख, झलकारी बाई और रानी चेनम्मा को जानते हैं? आइए आपको इन वीरांगनाओं के बारे में बताते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। 

1.    दुर्गा भाभी- दुर्गा भाभी ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी’ के सदस्य क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा की पत्नी थी। दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गावती देवी था। दुर्गा भाभी का जन्म 7 अक्टूबर 1907 उत्तर प्रदेश में हुआ। दुर्गा भाभी को बम और पिस्तौल बनाने की कला में महारत हासिल थी। इन्होंने भगत सिंह और चंद्र शेखर आजाद के साथ मिलकर आजादी के लिए कार्य किया। अक्टूबर 1930 में इन्होंने गवर्नर हैली पर गोली चलाई थी।1935 में गाजियाबाद के प्यारेलाल कन्या विद्यालय में दुर्गा भाभी अध्यापिका भी रहीं। इन्होंने 1937 में मद्रास जाकर मारिया मांटेसरी से मांटेसरी शिक्षा पद्धति सीखी। लखनऊ में 1940 में मांटेसरी स्कूल की स्थापना की। 15 अक्टूबर 1999 गाजियाबाद में उनका निधन हो गया।

2.    कल्पना दत्त- कल्पना दत्त का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। वे छात्र- जीवन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने लगीं थीं। वे इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की सदस्य थीं। कल्पना दत्त को पुलिस ने चटगांव के युरोपियन क्लब पर हमले की योजना बनाने के जुर्म में गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाए तो पुलिस उन्हें छोड़ दिया था। कल्पना दत्त लगभग दो साल तक भूमिगत होकर पुलिस को चकमा देकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन चलाती रहीं। अंत में पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। 

3.    दुर्गाबाई देशमुख -  दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को काकीनाड़ा नामक स्थान पर हुआ। 10 वर्ष की आयु में इन्होंने महिलाओं के लिए पाठशाला चलाई। उन्होंने अपना पूरा जीवन स्वयंसेविका के रूप में समर्पित किया। नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें तीन बार जेल जाना पड़ा। उनके व्यक्तित्व को देखकर लोग उन्हें “ जोन ऑफ ऑर्क” कहकर पुकारते थे। इनका विवाह भारत के पहले वित्तमंत्री चिंतामणराव देशमुख से हुआ। 1946 में मद्रास से दुर्गाबाई देशमुख भारतीय संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। 1958 में दुर्गाबाई देशमुख राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद की प्रथम अध्यक्ष बनी। उन्हें उनके कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

4.    झलकारी बाई- झलकारी बाई रानी लक्ष्मीबाई की सहेली और महिला सेना ‘दुर्गादल’ की सेनापति थीं। झलकारी बाई बहुत ही निडर और साहसी क्रांतिकारी थीं। 1857 में जब अंग्रेजों ने झाँसी के किले को चारों तरफ से घेर लिया था तब झलकारी बाई ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा कि आप जाइए मैं आपकी जगह लड़ती हूं। उन्होंने न जाने कितने सारे अंग्रेजों को का सिर अपनी तलवार से कलम किया था। जब अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया तो उन्होंने उनके सामने झुकने की बजाय फांसी मांग ली।

5.    रानी चेनम्मा- रानी चेनम्मा का विवाह किट्टूर के राजा मल्लासराजा से हुआ था। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने 15 साल की उम्र में एक बाघ का शिकार किया था। विवाह के कुछ समय बाद उनके पति और बेटे दोनों का निधन हो गया था। इसके बाद उन्होंने एक बच्चे को गोद लिया लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने उसे उनका उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया था। इसी के बाद अंग्रेजों ने रानी के महल पर 20 हजार सैनिकों के साथ हमला कर दिया था। किले में घिरे होने के बावजूद रानी चेनम्मा ने अपने सिपाहियों के साथ मिलकर डटकर अंग्रेजों का सामना किया। लेकिन अंत में अंग्रेजों ने उन्हें बंधक बना लिया और जेल में डाल दिया। उन्हें कर्नाटक की लक्ष्मीबाई कहा जाता है।

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