
नेपाल के विश्वविद्यालयों में भारत से PhD डिग्री लेने वाले शिक्षकों की हो रही जांच, UGC नियमों की अनदेखी का शक
संक्षेप: नेपाल के विश्वविद्यालयों में भारत से पीएचडी की डिग्री लेने वाले शिक्षकों और ऐसे अन्य लोगों की डिग्रियों की जांच की जा रही है। शक हुआ है कि भारत से डिग्री लेने वाले कुछ लोगों ने बिना कोर्स वर्क के ही पीएचडी पास कर ली है।
नेपाल के विश्वविद्यालयों में भारत से पीएचडी की डिग्री लेने वाले शिक्षकों और ऐसे अन्य लोगों की डिग्रियों की जांच की जा रही है। नेपाल के त्रिभुवन विवि सहित कई विवि में ऐसी डिग्रियों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है। त्रिभुवन विवि को इस जांच का केंद्र बनाया गया है। नेपाल में आंदोलन शुरू होने से पहले ही भारत से पीएचडी करने वालों की डिग्रियों की जांच शुरू कर दी गई थी। त्रिभुवन विवि के कॅरिकुलम डेवलपमेंट सेंटर के तत्कालीन निदेशक प्रो. पारस ने बताया कि भारत में संचालित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार पीएचडी करने वाले छात्रों को कोर्स वर्क करना जरूरी है। कई लोगों की डिग्री पर संदेह पैदा हुआ, इसके बाद जांच कमेटी बनाई गई है।

नेपाल की सीआईएए कर रही है जांच : नेपाल की जांच एजेंसी सीआईएए (कमीशन फॉर दी इंविस्टिगेशन ऑफ एब्यूज ऑफ अथार्टी) इस मामले की पड़ताल कर रही है। कई लोगों की डिग्री पर संदेह होने के बाद जांच शुरू की गई है। नेपाल सरकार जांच करवा रही है। प्रो. पारस का कहना है कि हमें शक हुआ कि भारत से डिग्री लेने वाले कुछ लोगों ने बिना कोर्स वर्क के ही पीएचडी पास कर ली है, जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में बिना कोर्स वर्क की डिग्री की मान्यता नहीं है।
राजस्थान की डिग्री पर सबसे ज्यादा संदेह
नेपाल में जिन अभ्यर्थियों की डिग्री की जांच की जा रही है, उनमें सबसे ज्यादा संदेह राजस्थान के विश्वविद्यालयों पर है। प्रो. पारस का कहना है कि जिन-जिन डिग्रियों पर शक जा रहा है, उनकी जांच की जा रही है। उनमें बिहार भी शामिल है। अभी जांच की कोई रिपोर्ट नहीं आ रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी।
जांच की जिम्मेदारी कॅरिकुलम डेवलपमेंट सेंटर के पास है। अभी मैं नया उप कुलपति बना हूं, मामले की छानबीन करूंगा।- -प्रो. (डॉ.) दीपक अर्याल, उप कुलपति, त्रिभुवन विवि नेपाल
ऐसे हुआ डिग्रियों पर संदेह
जिन लोगों की डिग्री की जांच की जा रही है, उनपर संदेह की वजह कोर्स वर्क के दौरान नेपाल में रहना बताया जा रहा है। त्रिभुवन विवि के अधिकारी ने बताया कि कई शिक्षकों ने जो पीएचडी की डिग्री दिखायी उसमें कोर्स वर्क के समय वह नेपाल के विवि में थे। इससे संदेह हुआ कि इन अभ्यर्थियों ने कोर्स वर्क नहीं किया है।





