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जेआरएफ को मिल गईं पीएचडी की 60 प्रतिशत सीटें

जेआरएफ को मिल गईं पीएचडी की 60 प्रतिशत सीटें

संक्षेप: प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) राज्य विश्वविद्यालय में इस बार पीएचडी प्रवेश में जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) अभ्यर्थियों का दबदबा रहा। 24 विषयों में उपलब्ध 320 सीटों पर दाखिला हुआ, जिनमें 60 प्रतिशत सीटें जेआरएफ अभ्यर्थियों के हिस्से आईं। 

Fri, 10 Oct 2025 07:23 PMYogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, प्रयागराज, कार्यालय संवाददाता
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प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) राज्य विश्वविद्यालय में इस बार पीएचडी प्रवेश में जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) अभ्यर्थियों का दबदबा रहा। 24 विषयों में उपलब्ध 320 सीटों पर दाखिला हुआ, जिनमें 60 प्रतिशत सीटें जेआरएफ अभ्यर्थियों के हिस्से आईं। कैंपस के विभिन्न विभागों में 48 सीटों पर प्रवेश हुआ, जिनमें से 31 जेआरएफ उम्मीदवार हैं। पीएचडी प्रवेश यूजीसी-नेट स्कोर और साक्षात्कार के आधार पर हुआ। इसमें जेआरएफ अभ्यर्थियों को अधिक वेटेज मिलने से उन्हें ज्यादा लाभ मिला। नेट पास अभ्यर्थियों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। श्रेणी-1 (जेआरएफ) में सहायक प्रोफेसर, पीएचडी दाखिले और फेलोशिप के लिए योग्य। श्रेणी-2 में सहायक प्रोफेसर और पीएचडी दाखिले के लिए योग्य। श्रेणी-3 में केवल पीएचडी दाखिले के लिए योग्य। सभी श्रेणियों के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू देना पड़ा। प्रवेश प्रक्रिया में 70% वेटेज नेट पर्सेंटाइल और 30% वेटेज इंटरव्यू को दिया गया। जेआरएफ उम्मीदवारों का नेट पर्सेंटाइल ऊंचा होने से वे सबसे ज्यादा लाभान्वित हुए।

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इन विषयों में हुए दाखिले

पीएचडी प्रवेश 24 विषयों में हुआ, जिनमें पुरातत्व एवं प्राचीन इतिहास, हिंदी, संस्कृत, समाजशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, दर्शनशास्त्र, भूगोल, रसायन, गणित, भौतिकी, वनस्पति विज्ञान, जीवविज्ञान, वाणिज्य, कृषि विस्तार, मृदा विज्ञान, कृषि अर्थशास्त्र और सामाजिक कार्य प्रमुख हैं।

बढ़ी प्रतिस्पर्धा, सुधरेगा शोध स्तर

कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि जेआरएफ अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने से अब शोधार्थियों के बीच बेहतर रिसर्च प्रस्ताव और विषय चयन की प्रतिस्पर्धा होगी। इससे रिसर्च पेपर्स का स्तर ऊंचा होगा, जो विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग सुधारने में मददगार साबित होगा।

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Yogesh Joshi

लेखक के बारे में

Yogesh Joshi
योगेश जोशी हिंदुस्तान डिजिटल में सीनियर कंटेंट प्रड्यूसर हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मेहला गांव के रहने वाले हैं। पिछले छह सालों से पत्रकरिता कर रहे हैं। एनआरएआई स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेश से जर्नलिज्म में स्नातक किया और उसके बाद 'अमर उजाला डिजिटल' से अपने करियर की शुरुआत की, जहां धर्म और अध्यात्म सेक्शन में काम किया।लाइव हिंदुस्तान में ज्योतिष और धर्म- अध्यात्म से जुड़ी हुई खबरें कवर करते हैं। पिछले तीन सालों से हिंदुस्तान डिजिटल में कार्यरत हैं। अध्यात्म के साथ ही प्रकृति में गहरी रुचि है जिस कारण भारत के विभिन्न मंदिरों का भ्रमण करते रहते हैं। और पढ़ें
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