
नौकरी के अंतिम पड़ाव में कई शिक्षकों को देनी होगी TET परीक्षा, SC के फैसले ने बढ़ाई चिंता
संक्षेप: गाजियाबाद जिले के सरकारी स्कूलों में तैनात कई शिक्षकों को सेवा के अंतिम पड़ाव पर टीईटी परीक्षा देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने जिले के बेसिक शिक्षकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
गाजियाबाद जिले के सरकारी स्कूलों में तैनात कई शिक्षकों को सेवा के अंतिम पड़ाव पर टीईटी परीक्षा देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने जिले के बेसिक शिक्षकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। शिक्षक संगठनों के मुताबिक, परीक्षा नहीं देने वालों को या तो खुद इस्तीफा देना होगा अथवा उन्हें निकाल दिया जाएगा।

एक सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, नौकरी में बने रहने के लिए कक्षा एक से 8वीं तक के सभी शिक्षकों को दो साल में टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। जिले के बेसिक स्कूलों में तैनात शिक्षक जहां दबी जुबान में फैसले का विरोध कर रहे हैं, तो वहीं शिक्षक संगठन खुलकर इसे अन्यायपूर्ण बता रहे हैं।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महानगर अध्यक्ष अमित गोस्वामी ने बताया कि जिनकी सेवानिवृत्ति में केवल पांच साल हैं, उन्हें फैसले से बाहर रखा गया है। यदि पांच साल से एक महीना भी अधिक है तो भी परीक्षा अनिवार्य है। दो साल में परीक्षा पास नहीं की तो शिक्षक अपनी सेवा के अंतिम तीन साल पूरे किए बिना ही नौकरी से बाहर हो जाएगा। ऐसे में अंतिम पड़ाव में शिक्षकों को शिक्षक बने रहने के लिए परीक्षा देनी होगी। वहीं शिक्षकों का कहना है कि अब परीक्षा की तैयारी करें या बच्चों को पढ़ाएं।
क्या है पूरा मामला : उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संगठन के जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि शिक्षक भर्ती में टीईटी परीक्षा 2010 से लागू हुई है। उससे पहले बीटीसी व अन्य शर्तों के आधार पर शिक्षक भर्ती हुई, लेकिन साल 2017 में सरकार ने सभी शिक्षकों को चार साल में टीईटी परीक्षा पास करने की अनिवार्यता कर दी। इसके विरोध में कुछ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट चले गए। इसी क्रम में एक सितंबर 2025 को कोर्ट ने सभी शिक्षकों को दो साल में टीईटी परीक्षा पास करने का फैसला दिया है।
फैसले से जिले के 1600 शिक्षक प्रभावित
शिक्षक संगठन के जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा के मुताबिक जिले में कुल 2133 शिक्षक हैं। इनमें लगभग 400 शिक्षक 2010 के बाद के हैं और तकरीबन 130 शिक्षकों के कार्यकाल में पांच साल शेष बचे हैं। ऐसे में 1600 शिक्षक सीधे तौर पर इससे प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के दूसरे गुट के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. अनुज त्यागी का कहना है कि 20-25 साल पहले जो सभी मानक एवं शर्तों को पूरा करके शिक्षक बने हैं, उनके लिए यह फैसला व्यावहारिक नहीं है। मानक बाद में बदले हैं। ऐसे में इसकी समीक्षा होनी चाहिए।





