Mahakumbh 2025: आईआईटी से वेदांताचार्य तक का सफर, जानें आचार्य जयशंकर नारायणन की अनोखी कहानी
- Mahakumbh Mela 2025: 1992 में आईआईटी-बीएचयू से स्नातक करने वाले नारायणन ने 1993 में अमेरिका जाने से पहले टाटा स्टील में अपना करियर शुरू किया। आइए जानते हैं आचार्य जयशंकर नारायणन की आईआईटी बीएचयू से आध्यात्म में जाने की कहानी।

Acharya Jaishankar Narayanan: आईआईटी-बीएचयू के पूर्व छात्र आचार्य जयशंकर नारायणन की एक इंजीनियर से एक भिक्षु बनने की यात्रा, जो लोगों को 'वेदांत' और संस्कृत के बारे में पढ़ाते हैं। आइए जानते हैं आचार्य जयशंकर नारायणन की आईआईटी बीएचयू से आध्यात्म में जाने की कहानी।
1992 में आईआईटी-बीएचयू से स्नातक करने वाले नारायणन ने 1993 में अमेरिका जाने से पहले टाटा स्टील में अपना करियर शुरू किया था। यहीं पर वे अपने गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती से मिले और वे वेदांत की शिक्षाओं की ओर आकर्षित हुए।
एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं स्वामी दयानंद सरस्वती का शिष्य हूं।मैं तीन साल तक गुरुकुलम में रहा। इससे पहले, मैंने 4 साल तक आईआईटी-बीएचयू में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। मैं 1992 में पास आउट हुआ और एक साल तक टाटा स्टील में काम किया जिसके बाद मैं 1993 में अमेरिका चला गया।
उन्होंने कहा, "मैं पहली बार गुरु जी से मिला और उनके 'प्रवचन' को सुनने के बाद मुझे वेदांत में दिलचस्पी हो गई। नारायणन 1995 में भारत लौट आए और वेदांत सीखने और पढ़ाने के लिए खुद को समर्पित करते हुए गुरुकुलम में एक आवासीय पाठ्यक्रम में शामिल हो गए।
उन्होंने कहा, "मैं 1995 में भारत लौटा और गुरुकुलम में आवासीय पाठ्यक्रम में शामिल हुआ और 'वेदांत' सीखना शुरू किया। पिछले 20 वर्षों से मैं वेदांत और संस्कृत पढ़ा रहा हूं।
अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए नारायणन ने कहा कि आईआईटी में प्रवेश लेने सहित उनकी उपलब्धियां शुरू में महत्वपूर्ण लगीं, लेकिन बाद में सामान्य हो गईं। उन्होंने कहा, "सभी उपलब्धियां कुछ समय के लिए ही बड़ी लगती हैं, लेकिन कुछ समय बाद यह सामान्य लगती हैं और आप अपने अगले लक्ष्य के लिए काम करना शुरू कर देते हैं।
उन्होंने कहा, "सभी उपलब्धियां कुछ समय के लिए ही बड़ी लगती हैं, लेकिन कुछ समय बाद यह सामान्य लगती हैं और आप अपने अगले लक्ष्य के लिए काम करना शुरू कर देते हैं। मैं अक्सर सोचता था, क्या ऐसा कुछ है जो इसे हासिल करने के बाद मुझे जीवन भर संतुष्ट कर सकता है?
प्रयागराज में, इस समय महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन हो रहा है, यह दुनियाभर के करोड़ो भक्तों और आध्यात्मिक साधकों को एक साथ लाया है। महाकुंभ में देशभर से बहुत सारे साधु संत पहुंच रहे हैं। महाकुंभ का आयोजन 144 वर्षों के बाद किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले के दौरान देवी देवता पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। कुंभ मेले का आयोजन हर चार साल के बाद हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में किया जाता है।
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