
किसी के पिता ईंट भट्ठा संचालक, कोई 60 लाख की नौकरी छोड़ आया, इंडियन आर्मी को मिले 207 अफसर
संक्षेप: ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) गया में शनिवार की सुबह इतिहास रचने वाला क्षण बना। यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छह बिहारी समेत 207 कैडेट्स ने पासिंग आउट परेड में शपथ लेकर सैन्य अधिकारी के रूप में पहला कदम बढ़ाया।
ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) गया में शनिवार की सुबह इतिहास रचने वाला क्षण बना। यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छह बिहारी समेत 207 कैडेट्स ने पासिंग आउट परेड में शपथ लेकर सैन्य अधिकारी के रूप में पहला कदम बढ़ाया। इस गौरवमयी क्षण में उनके परिजन भी मौजूद रहे और अपने बच्चों को वर्दी में देखकर खुशी से झूम उठे। 27वें पासिंग आउट परेड में शॉर्ट सर्विस कमीशन (टेक्निकल एंट्री) पुरुष-63 से 184 और महिला-34 से 23 कैडेट्स को कमीशन मिला। इनमें बिहार के गया, मुंगेर व अन्य जिलों के छह युवा भी शामिल रहे। महिला कैडेट्स की संख्या 23 रही, जो इस अवसर पर परिवार और संस्थान के लिए गर्व का कारण बनीं। पिपिंग समारोह में अधिकारी कैडेट्स ने अपने कंधों पर स्टार लगाए और सैन्य अधिकारी बने इस परेड में सबसे अधिक यूपी के 32 ऑफिसर कैडेट्स सैन्य अधिकारी बने, जिनमें चार महिलाएं थीं। महाराष्ट्र से 30 (तीन महिलाएं), एमपी से 24 (आठ महिलाएं), दिल्ली से 14 (दो महिलाएं), राजस्थान और उत्तराखंड से 14-14, तमिलनाडु से 13 (एक महिला), केरल से 11 (एक महिला), हरियाणा से नौ, हिमाचल से आठ (एक महिला), पंजाब से सात (एक महिला), बिहार से छह, गुजरात से पांच, जम्मू-कश्मीर व तेलंगाना से 4-4, कर्नाटक से तीन (एक महिला), चंडीगढ़ व पश्चिम बंगाल से दो-दो तथा अंडमान निकोबार, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर व नागालैंड से 1-1 कैडेट अधिकारी बने।

मोनू कुमार को स्वर्ण पदक
हरियाणा के मोनू कुमार, अकादमी कैडेट एडजुटेंट, को ओवरऑल ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रथम स्थान पर आने के लिए स्वर्ण पदक मिला। उन्हें 11 जाट में कमीशन मिला। मोनू ने बताया कि उनके पिता वीरेंद्र सिंह सेवानिवृत्त हवलदार हैं। 12 बार असफल होने के बाद 13वीं कोशिश में उन्होंने सफलता हासिल की। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा-“असफलताओं से डरें नहीं, लगातार मेहनत करें, सफलता जरूर मिलेगी।
ध्रुव कुलथे को ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’
महाराष्ट्र के कोल्हापुर निवासी बटालियन अंडर ऑफिसर ध्रुव कुलथे को शॉर्ट सर्विस कमीशन (टेक्निकल) पुरुष-63 और महिला-34 कोर्स में सर्वश्रेष्ठ अधिकारी कैडेट चुने जाने पर प्रतिष्ठित स्वॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्हें 9 ग्रेनेडियर्स में कमीशन प्राप्त हुआ। ध्रुव के पिता चन्द्रसेन सेवानिवृत्त मेजर हैं, जो युवाओं को सेना में भर्ती की ट्रेनिंग कराते हैं। ध्रुव ने कहा-“मैंने नौवीं बार में सफलता पाई है। युवाओं को संदेश है कि घबराएं नहीं, लगातार मेहनत करें, सफलता जरूर मिलेगी।
पीयूष डिमरी को सिल्वर
देहरादून के पियूष डिमरी को ओवरऑल मेरिट में द्वितीय स्थान पर आने के लिए सिल्वर मेडल मिला। उन्हें 7 कुमाऊं में कमीशन मिला। पियूष ने कहा-“सातवीं कोशिश में सफलता मिली। कोर्समेट, प्रशिक्षकों और परिवार के प्रोत्साहन ने हौसला बढ़ाया। हार मानना कभी विकल्प नहीं होना चाहिए।
मुंगेर के साहिल बने लेफ्टिनेंट, चौथी बार में सफलता
ओटीए गया में शनिवार को पासिंग आउट परेड के बाद मुंगेर के साहिल कुमार लेफ्टिनेंट बन गए। उन्होंने कहा कि उनके पिता अर्जुन सेन यादव आर्मी में रहे और बचपन से उन्हें देखकर ही सेना में जाने का सपना देखा था। चौथी कोशिश में सफलता पाने वाले साहिल ने कहा कि सेना नौकरी ही नहीं, बल्कि देश सेवा का सर्वोत्तम अवसर है, जिसे युवाओं को अपनाना चाहिए। साहिल ने बताया कि उनकी पढ़ाई हैदराबाद में हुई है और परिवार में वह पहले सदस्य हैं जो सेना में अधिकारी बने हैं। इस अवसर पर उनके पिता ने गर्व जताते हुए कहा- आज बेटा लेफ्टिनेंट बन गया तो हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
ईंट भट्ठा संचालक का बेटा बना लेफ्टिनेंट, बढ़ा मान
भिखनपुर चाकंद निवासी ईंट भट्ठा संचालक जैनेन्द्र सिंह के पुत्र उज्जवल कुमार ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) गया से पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट बनकर परिवार और समाज का मान बढ़ाया। उज्जवल को तीसरी कोशिश में सफलता मिली है।
पिता के सपनों को पूरा करने जर्मनी में 60 लाख की नौकरी छोड़ वतन लौटे और बने अफसर
देश सेवा के लिए त्याग और समर्पण की कहानियां हमेशा प्रेरणा देती हैं। ऐसी ही कहानी है केरल के प्रमित पीएस की, जिन्होंने शनिवार को ओटीए गया की पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट का सितारा अपने कंधों पर सजाया। प्रमित ने अपने जीवन के संघर्ष साझा करते हुए बताया कि उनके पिता श्रीधर, जो शिक्षक थे, कैंसर से पीड़ित रहे और अब इस दुनिया में नहीं हैं। पिता का सपना था कि बेटा सेना में अधिकारी बने, और आज जब वह सपना पूरा हुआ, तो पिता इस पल के गवाह नहीं बन सके। प्रमित ने भावुक होकर कहा कि यह क्षण उनके लिए खुशी और गम दोनों लेकर आया है- खुशी इस बात की कि उन्होंने पिता का सपना पूरा किया और दुख इस बात का कि पिता उनके साथ नहीं हैं। समारोह में उनके साथ मां अनिता मौजूद थीं। उन्होंने बताया कि बीटेक के बाद वह जर्मनी में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत थे और उन्हें करीब पांच लाख रुपये इन-हैंड सैलरी मिल रही थी। वहीं 60 लाख रुपये से अधिक का वार्षिक पैकेज भी था। इसके बावजूद उन्होंने पिता के सपने को पूरा करने के लिए सबकुछ छोड़ दिया। इसके बाद पिता का निधन हो गया। प्रमित ने कहा-पैसा ही सबकुछ नहीं होता। यदि देश सेवा का मौका मिले तो उसे कभी न छोड़ें।
तीसरी बार मिली गया जी के उज्ज्वल कुमार को सफलता, लेफ्टिनेंट बने
भिखनपुर चाकंद निवासी ईंट भट्ठा संचालक जैनेन्द्र सिंह के पुत्र उज्जवल कुमार ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) गया से पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट बनकर परिवार और समाज का मान बढ़ाया। परिवार में पहली बार कोई सैन्य अधिकारी बनने पर घर में खुशी का माहौल है।
उज्जवल ने कहा कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है कि अपने ही जिले के ओटीए से पास आउट होकर यह मुकाम हासिल किया। उन्होंने बताया कि दो बार मेडिकल में असफल रहे, लेकिन हार नहीं मानी और तीसरी बार सफलता प्राप्त की।
युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य तय करें और असफलता से घबराने के बजाय उससे सीख लेकर आगे बढ़ें। उनके पिता जैनेन्द्र सिंह ने कहा कि बेटे की जिद और मेहनत से वह आज इस मुकाम तक पहुंचा है। मां गृहिणी हैं और बेटे की सफलता से पूरा परिवार गर्वित है।





