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Engineers Day 2025: जानें क्यों 15 सितंबर को मनाया जाता है इंजीनियर्स डे, कौन हैं एम विश्वेश्वरैया?

Engineers Day 2025: जानें क्यों 15 सितंबर को मनाया जाता है इंजीनियर्स डे, कौन हैं एम विश्वेश्वरैया?

संक्षेप: Engineers Day 2025: आज 15 सितंबर है और हमारे देश में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। इस दिन को एम विश्वेश्वरैया की जयंती के दिन मनाया जाता है। 1962 में 102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ।

Mon, 15 Sep 2025 09:40 AMPrachi लाइव हिन्दुस्तान
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Engineers Day 2025: आज 15 सितंबर है और हमारे देश में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। इस दिन को एम विश्वेश्वरैया की जयंती के दिन मनाया जाता है। इनका पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया है। एम विश्वेश्वरैया को 1955 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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क्यों 15 सितंबर को मनाया जाता है इंजीनियर्स डे?

15 सितंबर का दिन देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को समर्पित है। 15 सितंबर को उनकी जयंती होती है, ऐसे में उनकी याद में उनके जन्मदिवस को इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। एम विश्वेश्वरैया बाढ़ आपदा प्रबंधन और सिंचाई तकनीकों में माहिर थे। सिविल इंजीनियर विश्वेश्वरैया ने आधुनिक भारत के बांधो, जलाशयों और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी।

कौन हैं एम विश्वेश्वरैया?

विश्वेश्वरैया को देश में सर एमवी के नाम से भी जाना जाता था। एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले स्थित क्काबल्लापुर तालुक में एक तेलुगू परिवार में हुआ था। विश्वेश्वरैया के पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री था, जो संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद के डॉक्टर थे।

1883 में पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद विश्वेश्वरैया को तत्काल ही सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी। वे मैसूर के 19वें दीवान थे और 1912 से 1918 तक रहे। मैसूर में किए गए उनके कामों के कारण उन्हें मॉर्डन मैसूर का पिता कहा जाता है। उन्होंने मैसूर सरकार के साथ मिलकर कई फैक्ट्रियों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करवाई थी। उन्होंने मांड्या जिले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य योगदान दिया था। किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हें ब्रिटिश इंडियन एम्पायर के नाइट कमांडर के सम्मान से भी नवाजा था। डॉ. मोक्षगुंडम को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। 1962 में 102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ।

सिंधु नदी से सक्खर कस्बे को पानी भेजने का प्लान तैयार किया। उन्होंने स्टील के दरवाजे बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करते थे। विश्वेश्वरय्या ने मूसी और एसी नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान बनाया। आज भी उनके मशविरे पर बने वाटर सप्लाई सिस्टम इस्तेमाल होते हैं। आज देश के सिविल इंजीनियर उनसे प्रेरणा लेते हैं।

यह दिन देश के उन सभी इंजीनियरों की मेहनत और लगन को सलाम करने का दिन है जो देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। इन्हीं इंजीनियरों के अथक प्रयासों की बदौलत लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। देश के इंजीनियरों ने अपनी खोजों से आमजनजीवन को सुगम बना दिया है। 15 सितंबर के दिन ही भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका और तंजानिया में भी इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। किसी भी देश की तरक्की में इंजीनियर्स का बहुत बड़ा योगदान होता है क्योंकि इंजीनियर्स ही सड़क, इमारत और टेक्नोलॉजी के जरिए राष्ट्र निर्माण की नींव को मजबूत करते हैं।

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लेखक के बारे में

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प्राची लाइव हिन्दुस्तान में ट्रेनी कंटेंट प्रोड्यूसर हैं। यहां वे करियर से जुड़ी खबरें लिखती हैं। प्राची दिल्ली की रहने वाली हैं और उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से इंग्लिश जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है। उन्होंने अपना करियर नन्ही खबर से शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने सी.वाई. फ्यूचर लिमिटेड और कुटुंब में कंटेंट लेखक के रूप में काम किया। वे 2024 में लाइव हिन्दुस्तान से जुड़ी। प्राची को उपन्यास पढ़ना और फिल्में देखना बहुत पसंद है। और पढ़ें
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