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विनियमित शिक्षकों के प्रमोशन पर रार, UPPSC चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर ने खोला मोर्चा, दिया UGC गाइडलाइन का तर्क

संक्षेप: विनियमित किए गए 290 शिक्षकों की पुरानी सेवा को जोड़ते हुए कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत पदोन्नति का लाभ देने की तैयारी शुरू हो गई है। पर यूपीपीएससी चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

Thu, 18 Sep 2025 06:48 AMPankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, मुख्य संवाददाता, प्रयागराज
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विनियमित शिक्षकों के प्रमोशन पर रार, UPPSC चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर ने खोला मोर्चा, दिया UGC गाइडलाइन का तर्क

राजकीय महाविद्यालयों में 2005 से 2008 के बीच संविदा पर नियुक्त और 2016 में विनियमित किए गए 290 शिक्षकों की पुरानी सेवा को जोड़ते हुए कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत पदोन्नति का लाभ देने की तैयारी शुरू हो गई है। इस संबंध में शासन की ओर से 26 अगस्त और उच्च शिक्षा निदेशालय की तरफ से दो सितंबर को पत्र जारी किया गया है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से चयनित नियमित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

टीचरों ने दिया यूजीसी की गाइडलाइन का तर्क

विरोध कर रहे शिक्षकों का तर्क है कि राजकीय महावि‌द्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए वैधानिक संस्था उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) है, जबकि संविदा शिक्षकों का चयन मात्र उच्च शिक्षा निदेशालय के स्तर से किया गया था। संविदा शिक्षकों के विनियमितीकरण के दौरान आरक्षण प्रणाली की अनदेखी की गई, जिसकी सघन जांच होनी चाहिए। विनियमितीकरण के पूर्व से कैस के सभी लाभ संविदा शिक्षकों को देना सरकार पर बड़ा अवैधानिक वित्तीय बोझ है। शिक्षकों का कहना है कि कैस पदोन्नति के लिए संविदा सेवा जोड़ना नियम विरुद्ध है क्योंकि यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार नियमित वेतनमान पर नियुक्ति तिथि को गिना जाना चाहिए।

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वहीं, संविदा शिक्षकों की जिस सेवा अवधि को जोड़ने के लिए सूचनाएं मांगी जा रही हैं उसमें उनका चयन निश्चित मानदेय पर हुआ था। उस दौरान उन्हें किसी भी प्रकार का वेतनमान या अवकाश अनुमन्य नहीं था। संविदा शिक्षकों को शुरू में मात्र छह हजार, फिर आठ हजार और फिर ₹21,600 निश्चित मानदेय मिला जबकि यूपीपीएससी से चयनित सहायक प्राध्यापकों को प्रारंभ से ही वेतनमान, ग्रेड-पे एवं अन्य भत्ते प्राप्त हुए। कैस के लिए नियमित सेवा अनिवार्य है जबकि संविदा शिक्षकों की नियुक्ति प्रत्येक वर्ष 15 दिन के सेवा विराम के साथ होती रही तथा सेवा-विराम की अवधि में वेतन भी नहीं मिला जिसका उल्लेख उनकी सेवा अभिलेख में है। इन नियमित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने राज्यपाल को पत्र लिखने के साथ ही कानूनी लड़ाई की तैयारी भी शुरू कर दी है।

Pankaj Vijay

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पंकज विजय लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। यहां वह करियर, एजुकेशन, जॉब्स से जुड़ी खबरें देखते हैं। पंकज को पत्रकारिता में डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है। लाइव हिन्दुस्तान के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने एनडीटीवी डिजिटल, आजतक डिजिटल, अमर उजाला समाचार पत्र में काम किया। करियर-एजुकेशन-जॉब्स के अलावा वह विभिन्न संस्थानों में देश-विदेश, राजनीति, रिसर्च व धर्म से जुड़ी बीट पर भी काम कर चुके हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी), दिल्ली से हिन्दी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा व डीयू से इतिहास में बीए ऑनर्स किया है। और पढ़ें
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