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Hindi Diwas Poems : हिंदी दिवस पर शानदार कविताएं, सुनकर हर कोई करेगा आपकी तारीफ

Hindi Diwas Poems : हिंदी दिवस पर शानदार कविताएं, सुनकर हर कोई करेगा आपकी तारीफ

संक्षेप: Hindi Diwas Poems : अगर आप भी हिंदी दिवस के अवसर पर कविता बोलने के लिए कविता ढूंढ रहे हैं तो यहां हम आपके लिए हिंदी दिवस पर कुछ मशहूर कविताओं के उदाहरण दे रहे हैं। इस हिंदी दिवस पर आप इन्हें पढ़ सकते हैं।

Sun, 14 Sep 2025 07:24 AMPrachi लाइव हिन्दुस्तान
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Hindi Diwas Poems : हर वर्ष 14 सितंबर के दिन देश में हिंदी दिवस (Hindi Diwas ) मनाया जाता है। आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया। तब से हर साल पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदी केवल हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। हिंदी दिवस का दिन हर भारतीय नागरिक के लिए गर्व करने के पल हैं। अगर आप भी हिंदी दिवस के अवसर पर कविता बोलने के लिए कविता ढूंढ रहे हैं तो यहां हम आपके लिए हिंदी दिवस पर कुछ मशहूर कविताओं के उदाहरण दे रहे हैं। इस हिंदी दिवस पर आप इन्हें पढ़ सकते हैं।

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कविता-1

मेरी भाषा में तोते भी राम-राम जब कहते हैं।

मेरे रोम-रोम से मानो सुधा स्रोत तब बहते हैं।

सब कुछ छूट जाय मैं अपनी भाषा कभी न छोडूंगा।

वह मेरी माता है उससे नाता कैसे तोडूंगा।

कभी अकेला भी हूँगा मैं तो भी सोच न लाऊंगा।

अपनी भाषा में हिन्दी के गीत वहां पर गाऊँगा।

मुझे एक संगिनी वहां पर अनायास मिल जायेगी।

मेरे साथ प्रतिध्वनि देगी, हृदय कमल खिल जायेगी।

-मैथिलीशरण गुप्त

कविता-2

गूंजी हिन्दी विश्व में

गूंजी हिन्दी विश्व में,

स्वप्न हुआ साकार;

राष्ट्र संघ के मंच से,

हिन्दी का जयकार;

हिन्दी का जयकार,

हिन्दी हिन्दी में बोला;

देख स्वभाषा-प्रेम,

विश्व अचरज से डोला;

कह कैदी कविराय,

मेम की माया टूटी;

भारत माता धन्य,

स्नेह की सरिता फूटी !

-अटल बिहारी वाजपेयी

कविता-3

माँ भारती के भाल की शृंगार है हिंदी

हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी

घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी

स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी

तुलसी, कबीर, सूर औ' रसखान के लिए

ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी

सिद्धांतों की बात से न होयगा भला

अपनाएँगे न रोज़ के व्यवहार में हिंदी

कश्ती फँसेगी जब कभी तूफ़ानी भँवर में

उस दिन करेगी पार, वो पतवार है हिंदी

माना कि रख दिया है संविधान में मगर

पन्नों के बीच आज तार-तार है हिंदी

सुन कर के तेरी आह 'व्योम' थरथरा रहा

वक्त आने पर बन जाएगी तलवार ये हिंदी

-डॉ जगदीश व्योम

कविता-4

हिंदी हमारी आन बान शान

हिंदी हमारी आन है, हिंदी हमारी शान है,

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है,

हिंदी हमारी वर्तनी, हिंदी हमारा व्याकरण,

हिंदी हमारी संस्कृति, हिंदी हमारा आचरण,

हिंदी हमारी वेदना, हिंदी हमारा गान है,

हिंदी हमारी आत्मा है, भावना का साज़ है,

हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है,

हिंदी हमारी अस्मिता, हिंदी हमारा मान है,

हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है,

हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है,

हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है,

जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे,

तब तक वतन की राष्ट्र भाषा ये अमर हिंदी रहे,

हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है,

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शभ वरदान है।

- अंकित शुक्ला

Prachi

लेखक के बारे में

Prachi
प्राची लाइव हिन्दुस्तान में ट्रेनी कंटेंट प्रोड्यूसर हैं। यहां वे करियर से जुड़ी खबरें लिखती हैं। प्राची दिल्ली की रहने वाली हैं और उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से इंग्लिश जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है। उन्होंने अपना करियर नन्ही खबर से शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने सी.वाई. फ्यूचर लिमिटेड और कुटुंब में कंटेंट लेखक के रूप में काम किया। वे 2024 में लाइव हिन्दुस्तान से जुड़ी। प्राची को उपन्यास पढ़ना और फिल्में देखना बहुत पसंद है। और पढ़ें
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