रिटेल के बाद अब थोक महंगाई दर ने बढ़ाई टेंशन, 4 महीने के उच्चतम स्तर पर WPI, आलू और प्याज की कीमतों में तेज इजाफा
- Wholesale Infaltion October 2024: अक्टूबर में WPI 4 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले रिटेल महंगाई के आकड़ों ने भी झटका दिया था। अक्टूबर के महीने में रिटेल महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
WPI October 2024: थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर चार महीने के उच्च स्तर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाने के सामान खासकर, सब्जियों तथा मैन्युफैक्चरिंग सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी इसकी मुख्य वजह रही। गुरुवार को सरकार की तरफ से इसका डाटा जारी किया गया है। बता दें, इससे पहले रिटेल महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर सितंबर 2024 में 1.84 प्रतिशत थी। इसमें अक्टूबर 2023 में 0.26 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
आलू-प्याज की कीमतों में तेज इजाफा
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 13.54 प्रतिशत हो गई, जबकि सितंबर में यह 11.53 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति में 63.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सितंबर में यह 48.73 प्रतिशत थी। आलू तथा प्याज की मुद्रास्फीति अक्टूबर में क्रमशः 78.73 प्रतिशत और 39.25 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही।
ईंधन और बिजली कैटगरी की मुद्रास्फीति अक्टूबर में 5.79 प्रतिशत रही जो सितंबर में 4.05 प्रतिशत की थी। मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स में अक्टूबर में मुद्रास्फीति 1.50 प्रतिशत रही, जबकि पिछले महीने यह एक प्रतिशत थी।
थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति में अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने वृद्धि देखी गई। अक्टूबर से पहले जून 2024 में यह सर्वाधिक 3.43 प्रतिशत रही थी।
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री गुरुवार को बयान में कहा, “अक्टूबर 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, अन्य विनिर्माण, मशीनरी तथा उपकरणों के विनिर्माण, मोटर वाहनों, ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलरों आदि के विनिर्माण की कीमतों में बढ़ोतरी रही।”
रिटेल महंगाई दर 6% के पार
इस सप्ताह के प्रारंभ में जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तीव्र वृद्धि के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई।
यह स्तर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तय सीमा से अधिक है, जिससे दिसंबर में नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो सकता है। आरबीआई मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था।
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