तीसरी लहर के डर से लौटने से हिचक रहें श्रमिक, नहीं मिल रहे प्रशिक्षित कामगार
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से राहत मिलने के बाद अब उद्योग जगत के लिए प्रशिक्षित कामगारों की तलाश करना मुश्किल हो रहा है। महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई औद्योगिक राज्यों द्वारा अप्रैल से मई तक लगाए...
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से राहत मिलने के बाद अब उद्योग जगत के लिए प्रशिक्षित कामगारों की तलाश करना मुश्किल हो रहा है। महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई औद्योगिक राज्यों द्वारा अप्रैल से मई तक लगाए गए लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल श्रमिकों का पलायन हुआ था। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी बहुत सारे श्रमिक काम पर नहीं लौट रहे हैं। इससे कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
कपड़ा कंपनी टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) के चेयरमैन संजय जैन ने हिन्दुस्तान को बताया कि कुशल श्रमिकों की कमी से कपड़ा उद्योग पर बहुत ही बुरा असर हो रहा है। श्रमिक नहीं मिलने से प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है जिससे कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार ट्रेन औेर हवाई सफर खुले होने से लॉकडाउन के दौरान बहुत सारे कुशल श्रमिक गांव लौट गए लेकिन अब वह कोरोना की तीसरी लहर के डर से वापस नहीं लौट रहे हैं। हम उनको आने का सारा खर्च उठाने को तैयार है लेकिन इसके बावजूद बहुत सारे श्रमिक लौटना नहीं चाहते हैं। ऐसे में हम चाहकर भी अपना उत्पादन नहीं बढ़ा पा रहे हैं। अगर ऐसा आगे रहा तो टेक्सटाइल सेक्टर को त्योहारी सीजन में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
तीसरी लहर के डर से श्रमिक लौटने से हिचक रहें
चैम्बर ऑफ इंडस्ट्री ऑफ उद्योग विहार के अध्यक्ष, अशोक कोहली ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना की तीसरी लहर जुलाई से आने की आशंका जाहिर करने के बाद से कुशल श्रमिक गांव से शहर लौटने को हिचक रहे हैं। इससे कंपनियों को प्रोडक्शन प्रावित हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर मांग बढ़ रही है। मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं करने से कंपनियों को नुकसान उठाना होगा। अगर, टीकाकरण की रफ्तार तेज की गई और तीसरी लहर पर समय रहते काबू पा लिया गया तो कंपनियों को बहुत नुकसान उठाना नहीं पड़ेगा अन्यथा स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। कुशल श्रमिकों की कमी से एसएमई, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटो, रियल एस्टेट, माइनिंग आदि को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
मजदूरों की कमी से घरों की चाबी देनी में देर होगी
अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप के सीएमडी राकेश यादव ने बताया कि दूसरी लहर में कुशल और अकुशल श्रमिकों को प्रोजेक्ट साइट पर रोकने की हर संभव कोशिश नकाम रही। अधिकांश मजदूर अप्रैल से मई के दौरान अपने घर चले गए। अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद वो लौट रहे हैं लेकिन संख्या बहुत ही कम है। इससे प्रोजेक्ट का काम प्रभावित हो रहा है। घर खरीदारों को पहले ही पेजशन देने में देरी हो गई है।
मजदूरों की कमी से इसमें और देगी। वहीं, एटीएस इंफ्रास्ट्रक्चर के सीएमडी, गीतांबर आनंद ने बताया कि मजदूरों के गांव लौट जाने से स्किल्ड लेबर की दिक्कत शुरू गई है। जो हैं वो अब डेढ़ गुने मेहनताना मांग रहे हैं। इससे प्रोजेक्ट की लागत और बढ़ जाएगी। पहले ही स्टील, सीमेंट समेत जरूरी रॉ-मेटेरियल्स के दाम बढ़ने से लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है।
मांग बढ़ने पर वाहन उद्योग में संकट गहराएगा
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेस (एफआइएमएसएमई) के बोर्ड सदस्य और राई औद्योगिक क्षेत्र के प्रेसीडेंट राकेश छाबड़ा ने हिन्दुस्तान को बताया कि ऑटो और ऑटो एंसिलरी उद्योग में अभी कुशल श्रमिकों की कमी से बहुत ज्यादा परेशानी नहीं है क्योंकि बाजार में मांग नहीं है। हां, यह जरूर है कि आने वाले महीनों में त्योहारी सीजन शुरू हो रहा है। अगर, जिस तरह पिछले साल एकदम से मांग निकली थी, कुछ वैसा इस साल हुआ तो जरूर कुशल श्रमिकों की कमी से ऑटो सेक्टर को जूझना होगा। अगर, तीसरी लहर पर समय रहते काबू पा लिया जाता है तो मांग जरूर निकलेगी।
पिछले साल के मुकाबले अभी हालात बेहतर
जनरल इंडिया एसएमई फोरम की सेक्रेटरी, सुषमा मोरथनिया ने कहा कि पिछले साल के लॉकडाउन के मुकाबले इस साल हालात बेहतर हैं। पिछले साल देशव्यापी लॉक डाउन की वजह से और ट्रेनें सीमित मात्रा में चलने की वजह से लोगों का पलायन बढ़ा था लेकिन इस साल मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े काम जिस तरह से पूरी तरह बंद नहीं हुए थे तो कई लोगों ने अपने कर्मचारियों के रहने की भी व्यवस्था की थी। इस वजह से उन्हें ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
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