थोक महंगाई दर: आलू ने बढ़ाई मुसीबत, मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर पांच महीिने के उच्चस्तर पर पहुंची
सरकार ने थोक मुद्रास्फीति के आंकडे़ आज जारी कर दिए हैं। सरकारी आंकड़े के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 0.16 फीसद पर पहुंच गई। जुलाई में यह शून्य से 0.58 फीसद नीचे थी।...
सरकार ने थोक मुद्रास्फीति के आंकडे़ आज जारी कर दिए हैं। सरकारी आंकड़े के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 0.16 फीसद पर पहुंच गई। जुलाई में यह शून्य से 0.58 फीसद नीचे थी। बयान में कहा गया है कि अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.16 फीसद (अस्थायी) रही है। अगस्त, 2019 में यह 1.17 फीसद थी।
आलू की कीमतों में वृद्धि की दर 82.93 फीसद
अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 3.84 फीसद रही। इस दौरान सब्जियों की मुद्रास्फीति 7.03 फीसद और दलहन की 9.86 फीसद रही। अंडों, मांस और मछली की मुद्रास्फीति 6.23 फीसद पर थी। इस दौरान आलू के दाम 82.93 फीसद बढ़े। हालांकि, प्याज 34.48 फीसद सस्ता हुआ। समीक्षाधीन महीने में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति घटकर 9.68 फीसद रह गई। इससे पिछले महीने यानी जुलाई में यह 9.84 फीसद थी। हालांकि, इस दौरान विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 1.27 फीसद हो गई, जो जुलाई में 0.51 फीसद थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम की वजह से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अगस्त में थोक मुद्रास्फीति में मामूली बढ़त रही है, लेकिन इससे रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखने की गुंजाइश बढ़ी है। नायर ने कहा, ''मुख्य थोक मुद्रास्फीति अगस्त, 2020 में निर्णायक तरीके से बढ़ी है। इससे पिछले लगातार 12 माह तक अवस्फीति की स्थिति रही थी। हालांकि, मुद्रास्फीति के ऊपर जाने की एक वजह कमजोर आधार प्रभाव है। आगे चलकर हमारा अनुमान है कि मुख्य मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही औसतन 1.5 फीसद के आसपास रहेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम की वजह से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
क्या होती हैं महंगाई दर
आपको बता दें कि भारत में महंगाई दर बाजारों में सामान्य तौर पर कुछ समय के लिए वस्तुओं के दामों में उतार-चढ़ाव महंगाई को दर्शाती है। जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें सामान्य से अधिक हो जाती हैं तो इस स्थिति को महंगाई (इंफ्लेशन) कहते हैं। वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाने की वजह से परचेजिंग पावर प्रति यूनिट कम हो जाती है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि बाजार में मुद्रा की उपलब्धता और वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी को मापने की एक तरकीब है। भारत में वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के कई फैसले सरकार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर के हिसाब करती है।
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