Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़what is Insolvency and Bankruptcy Code Second Amendment Bill 2019

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकंड एमेंडमेंट) बिल, 2019 को सात प्वाइंट में समझें

राज्यसभा में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया। बता दें इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकंड एमेंडमेंट) बिल, 2019 के माध्यम से...

Drigraj Madheshia एजेंसी, नई दिल्लीSat, 19 Sep 2020 11:12 AM
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राज्यसभा में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया। बता दें इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकंड एमेंडमेंट) बिल, 2019 के माध्यम से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (कोड) में अनेक संशोधन करने से जुड़ा बिल लोकसभा में पेश किया गया है। इस संशोधन के तहत कंपनी के पूर्व प्रमोटर्स के अपराधों के लिए उसके नए खरीदारों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं चलाया जाएगा। इस बिल में और क्या है, इन 7 प्वाइंट में समझें...

  1. इस संशोधन के तहत पूर्ववर्ती प्रबंधन/प्रवर्तकों की ओर से किए गए अपराधों के लिए नए खरीदार पर कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
  2. अधिनियम में संशोधन यह भी सुनिश्चित करेगा कि कॉरपोरेट लेनदार के कारोबार का आधार कमजोर न पड़े और उसका व्यवसाय निरंतर जारी रहे।
  3. इसके लिए यह स्पष्ट किया जाएगा कि कर्ज वसूली स्थगन की अवधि के दौरान उद्यम का लाइसेंस, परमिट, रियायत, मंजूरी इत्यादि को समाप्त या निलंबित नहीं किया जाएगा और न ही उनका नवीकरण रोका जाएगा। इससे कंपनी चलता हाल उद्यम मानी जाएगी।
  4. कोड में संशोधन से बाधाएं दूर होंगी, सीआईआरपी सुव्यवस्थित होगी और अंतिम विकल्‍प वाले फंडिंग के संरक्षण से वित्तीय संकट का सामना कर रहे सेक्टरों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  5. कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए व्‍यापक वित्तीय कर्जदाताओं के लिए अतिरिक्त आरंभिक सीमा शुरू की गई है, जिनका प्रतिनिधित्व एक अधिकृत प्रतिनिधि करेगा।
  6. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कॉरपोरेट कर्जदार के कारोबार का आधार कमजोर न पड़े और उसका व्यवसाय निरंतर जारी रहे। इसके लिए यह स्पष्ट किया जाएगा कि कर्ज स्थगन अवधि के दौरान लाइसेंस, परमिट, रियायतों, मंजूरी इत्यादि को न तो समाप्त अथवा निलंबित या नवीकरण नहीं किया जा सकता है।
  7. आईबीसी के तहत कॉरपोरेट कर्जदार को संरक्षण प्रदान किया जाएगा. इसके तहत पूर्व मैनेजमेंट/प्रमोटरों द्वारा किए गए अपराधों के लिए सफल दिवाला समाधान आवेदक पर कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

 

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