देश में ही सस्ते इलेक्ट्रिक वाहन बनाने का रास्ता साफ
इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाली लीथियम आयन बैटरी का निर्माण देश में ही करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए भेल ने एक अमेरिकी कंपनी के साथ मिलाने का संकेत दिया है। देश में ही...
इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाली लीथियम आयन बैटरी का निर्माण देश में ही करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए भेल ने एक अमेरिकी कंपनी के साथ मिलाने का संकेत दिया है। देश में ही सस्ते इलेक्ट्रिक वाहन बनाने का रास्ता साफ हो गया है।
केंद्रीय मंत्री अनंत गीते ने शुक्रवार को कहा कि सरकार अगले एक वर्ष में भारत में ही लीथियम आयन बैटरियों के विनिर्माण की दिशा में प्रयासरत है। मेक इन इंडिया के तहत इस संयुक्त उद्यम के लिए सरकारी स्वामित्व वाली भेल और एक अमेरिका कंपनी के बीच बात चल रही है। अगले एक साल के भीतर भारत में ऐसी बैटरी बनना शुरू हो जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने इलेक्ट्रिक ऑटो किटो भी लांच किया, जिसे ईटीओ मोटर्स ने हांगकांग की किटो ग्रीन टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर बनाया है। किटो ग्रीन के एमडी ग्रेसन रिचर्ड्स ने कहा कि कंपनी भारत में दो साल के भीतर एक करोड़ डॉलर का निवेश करेगी।
सौ फीसदी निर्यात होता है अभी
वर्तमान में भारत 100 प्रतिशत लीथियम आयन बैटरियों का आयात करता है, इससे इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत काफी बढ़ जाती है। लीथियम आयन बैटरी बिजली चालितवाहनों का एक मुख्य घटक है और वर्तमान में मुख्य रूप से इसका आयात चीन से किया जाता है।
लागत के अहम हिस्से
इलेक्ट्रिक वाहन में बैटरी, कंट्रोलर, चार्जर, कनवर्टर, एनर्जी मॉनिटर, इलेक्ट्रिक कंप्रेसर पर शून्य आयात शुल्क लगता है। लेकिन धातुओं और प्लास्टिक बॉडी पर 28 फीसदी शुल्क लगता है और इससे भी लागत बढ़ती है।
कीमत में बैटरी सबसे अहम
35 फीसदी लागत में हिस्सा लीथियम आयन बैटरी का
06 से 10 लाख रुपये के बीच इलेक्ट्रिक कारें देश में
01 साल के भीतर भारत में शुरू होगा बैटरी का निर्माण
बढ़ता बाजार
300 अरब डॉलर का बाजार भारत में 2030 तक
45 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक होंगे वर्ष 2040 की बिक्री में
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