Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Vodafones win in the 20000 crore tax case then the government will bid take appropriate steps

20,000 करोड़ के टैक्स केस में Vodafone की जीत तो सरकार बोली- उचित कदम उठाएंगे

ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को भारत सरकार के साथ उसके पुराने कर विवाद मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में जीत हासिल हुई है। यह मामला कंपनी से 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग से जुड़ा है।...

20,000 करोड़ के टैक्स केस में Vodafone की जीत तो सरकार बोली- उचित कदम उठाएंगे
Nootan Vaindel लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 26 Sep 2020 09:10 AM
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ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को भारत सरकार के साथ उसके पुराने कर विवाद मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में जीत हासिल हुई है। यह मामला कंपनी से 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग से जुड़ा है। बहरहाल, फैसले की जानकारी मिलने के बाद सरकार ने कहा है कि वह मध्यस्थता अदालत के फैसले का अध्ययन करेगी और उसके बाद ही आगे की कार्रवाई के बारे में कोई निर्णय लेगी। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि भारत की पिछली तिथि से कर की मांग करना दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत निष्पक्ष व्यवहार के खिलाफ है।
 ब्रिटिश कंपनी ने एक बयान में कहा, ''वोडाफोन इस बात की पुष्टि करती है कि निवेश संधि न्यायाधिकरण ने मामला वोडाफोन के पक्ष में पाया। यह आम सहमति से लिया गया निर्णय है जिसमें भारत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ रोड्रिगो ओरेमुनो भी शामिल हैं। कंपनी के अनुसार, ''न्यायाधिकरण ने कहा कि भारत का कर मांग को लागू करने को लेकर कोई भी प्रयास भारत के अंतरराष्ट्रीय कानून दायित्वों का उल्लंघ्न होगा। भारत ने कहा, ''सरकार मामले में निर्णय और सभी पहलुओं का अपने वकीलों के साथ विचार-विमर्श कर अध्ययन करेगी। विचार-विमर्श के बाद सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी और उपयुक्त मंच पर कानूनी उपाय समेत अन्य कार्रवाही के बारे में निर्णय करेगी। इस बीच मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फैसला आने के बाद मामले में भारत सरकार की देनदारी करीब 75 करोड़ रुपये तक होगी। इसमें 30 करोड़ रुपये लागत और 45 करोड़ रुपये कर वापसी शामिल है। निर्णय के तहत सरकार को वोडाफोन को उसकी कानूनी खर्चे का 60 प्रतिशत और मध्यस्थ की नियुक्ति में 6,000 यूरो की लागत का आधा हिस्सा का भुगतान करना है।
 मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा कि उच्चम न्यायालय के निर्णय के बाद भी वोडाफोन से कर मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत निष्पक्ष और समान व्यवहार की गारंटी का उल्लंघन है।  वोडाफोन ग्रुप पीएलसी ने भारत सरकार के पिछली तिथि से कर लगाने के कानून के तहत उससे की गई कर मांग के खिलाफ मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी थी। सरकार ने 2012 में पारित एक कानून के जरिये पिछली तिथि में हुये सौदों पर कर लगाने का अधिकार हासिल कर लिया था।
सरकार ने इसी कानून के तहत वोडाफोन द्वारा हचीसन व्हाम्पाओ के भारत में चल रहे मोबाइल फोन कारोबार में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के 11 अरब डॉलर के सौदे में पूंजी लाभकर की मांग की थी। वोडाफोन और हचीसन के बीच यह सौदा 2007 में हुआ था। कंपनी ने नीदरलैंड-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के तहत भारत सरकार की कर मांग को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी। कंपनी से इस सौदे में पूंजीगत लाभ कर के रूप में 7,990 करोड़ रुपये (ब्याज और जुर्माना मिलाकर 22,100 करोड़ रुपये) की मांग की गई थी। सूत्रों ने कहा कि कर मांग ब्रिटेन में सूचीबबद्ध कंपनी पर थी और इसका वोडाफोन की भारतीय इकाई पर इसकी कोई देनदारी नहीं है।
 वोडाफोन इंडिया ने अपने भारतीय दूरसंचार परिचालन को उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी आइडिया के साथ विलय किया। लेकिन विलय के बाद अस्तित्व में आयी कंपनी वोडाफोन आइडिया लि. 7.8 अरब डॉलर की पिछले सरकारी बकाये की मांग का सामना कर रही है। कर प्राधिकरण ने सितंबर 2007 में वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिग्स बीवी को नोटिस जारी किया था। नोटिस में कंपनी पर हचिसन टेलीकम्युनिकेशंस इंटरनेशनल लि. को उसकी हिस्सेदारी खरीद के भुगतान पर विदहोल्डिंग कर (स्रोत पर कर कटौती) काटने में असफल रहने की बात कही गई थी। वोडाफोन ने इस नोटिस को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने 2012 में मामले का निपटान करते हुए कहा कि इस सौदे पर भारत में कर नहीं बनता और कंपनी पर विदहोल्डिंग कर देने को लेकर कोई बाध्यता नहीं है।

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 उसके बाद उसी साल मई में संसद ने वित्त कानून 2012 पारित किया जिसमें पूर्व की तिथि से कर के साथ आयकर कानून 1961 के विभिन्न प्रावधानों को संशोधित किया गया। इसके जरिये यह व्यवस्था की गयी कि भारत स्थित संपत्तियों से कमाई वाले किसी सौदे में यदि विदेशी कंपनी में शेयरों का हस्तांरण हुआ है तो ऐसे सौदे से होने वाले लाभ पर पिछली तिथि से कर लगाया जा सकेगा। इसके बाद कंपनी को जनवरी 2013 में कर की मूल राशि के ऊपर ब्याज लगाकर 14,200 करोड़ रुपये का कर नोटिस दिया गया। एक साल बाद वोडाफोन ने कर मांग को नीदरलैंड बीआईटी में चुनौती दी। सूत्रों ने कहा कि अदालत के बाहर मामले का समाधान नहीं हो पाने के बाद कंपनी ने अप्रैल 2014 में मध्स्थता का नोटिस दिया। 
कर विभाग ने 2016 में 22,100 करोड़ रुपये के कर की मांग को लेकर नोटिस दिया। वोडाफोन के अलावा भारत सरकार ने पूर्व की तिथि से कर कानून का उपयोग करते हुये ब्रिटेन की तेल खोज कार्य करने वाली कंपनी केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह मांग कंपनी से 2006 में उसके भारतीय कारोबार का पुनर्गठन करने को लेकर की गयी थी। फैसले के बारे में जे सागर एसोसएिट्स के कुमारमंगल विजय ने कहा, ''पूर्व की तिथि से कर लगाये जाने से जुड़े मध्यस्थता मामले में सरकार के खिलाफ वोडाफोन की जीत काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी तरह की दूसरी कंपनियां भी मध्यस्थता राहत का रास्ता अपना सकती हैं।
उन्होंने कहा, ''सरकार ने कराधान मामले को द्विपक्षीय संघियों के दायरे से बाहर रखने के इरादे से कई द्विपक्षीय निवेश संधियों को रद्द किया या उनमें संशोधन किया है। इससे इस मामले में आगे की कार्यवाही की गुंजाइश लगती है। केएस लीगल एंड एसोसिएट्स के सोमन चंदवारी ने कहा कि इस निर्णय के पूर्व की तिथि से कराधान दावों से जुड़े दूसरे मध्यस्थता मामलों में प्रभाव को देखना रूचिकर होगा। 

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