वेदांता और सरकार का टकराव बढ़ा! 9.1 करोड़ डॉलर का मुनाफा देने के मूड में नहीं कंपनी
आपको बता दें कि वेदांता ने ये फैसला ऐसे समय में लिया है जब हिंदुस्तान जिंक की विदेशी संपत्ति के मुद्दे पर सरकार और वेदांता समूह के बीच टकराव की स्थिति है।

दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर टकराव बढ़ने की नौबत आ सकती है। दरअसल, कंपनी ने नौ महीने पहले सरकार द्वारा अप्रत्याशित लाभ टैक्स लगाए जाने को लेकर सांकेतिक विरोध जताया है। कंपनी ने टैक्स चुकाने के लिए अपने तेल और गैस प्लांट से सरकार के लाभांश में से लगभग 9.1 करोड़ डॉलर रोक लिया है। कंपनी ने ये फैसला ऐसे समय में लिया है जब हिंदुस्तान जिंक की विदेशी संपत्ति के मुद्दे पर सरकार और वेदांता समूह के बीच टकराव की स्थिति है।
क्या है अप्रत्याशित लाभ टैक्स: भारत ने एक जुलाई, 2022 को अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स लगाया। इसके साथ उन देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने ऊर्जा कंपनियों को हो रहे अच्छे लाभ को देखते हुए टैक्स लगाया था। इसके अलावा स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया गया। लेकिन स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) को उत्पादनकर्ता वित्तीय स्थिरता प्रदान करने वाले अनुबंध का उल्लंघन मानते हैं।
एसएईडी शुरू में 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) की दर से लगाया गया। पंद्रह दिन पर होने वाले संशोधनों में इसे घटाकर 3,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया। यह तेल और गैस की कीमत पर 10-20 प्रतिशत रॉयल्टी और 20 प्रतिशत का तेल उपकर के अलावा है।
क्या कहा था कंपनी ने: वेदांता ने 31 जनवरी को और 20 फरवरी को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सूचित किया था कि उसने एसएईडी चुकाने के लिए राजस्थान ब्लॉक, आरजे-ओएन-90/1 पर 8.53 करोड़ डॉलर के अलावा कैम्बे बेसिन में ब्लॉक सीबी-ओएस/2 के लिए 55 लाख डॉलर की कटौती की है। वहीं, मंत्रालय ने हालांकि 22 फरवरी को एक पत्र में इसे 'एकतरफा' कटौती बताते हुए इसे गलत बताया और कंपनी को सात दिनों के भीतर ब्याज के साथ भुगतान करने के लिए कहा।