Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़UPI Transaction costs more on your pocket third party charges 2 percent extra on payment

क्या आप भी करते हैं UPI ट्रांजेक्शन? थर्ड पार्टी एप्स से पेमेंट पर लगाती है इतना एक्स्ट्रा चार्ज 

देश में नियमों को ताक पर रखकर ऑनलाइन यूपीआई पेमेंट के लिए पेमेंट एग्रीगेटर मर्चेंट से 2 फीसदी तक चार्ज वसूल रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट के मुताबिक आईआरसीटीसी और विस्तारा जैसी कंपनियों में भी...

Sheetal Tanwar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 10 Dec 2020 08:03 PM
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देश में नियमों को ताक पर रखकर ऑनलाइन यूपीआई पेमेंट के लिए पेमेंट एग्रीगेटर मर्चेंट से 2 फीसदी तक चार्ज वसूल रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट के मुताबिक आईआरसीटीसी और विस्तारा जैसी कंपनियों में भी डेबिट कार्ड पेमेंट नियमों को लेकर समझ का भयंकर अभाव है जिसके चलते ग्राहकों को मुश्किल आ रही है।

रिपोर्ट तैयार करने वाले प्रोफेसर आशीष दास ने हिन्दुस्तान को बताया है कि लंबे समय से यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि लोगों के यूपीआई-भीम प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो ये पेमेंट एग्रीगेटर बैंक उसके एवज में मर्चेंट से चार्ज वसूलते हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि देश में मौजूदा कानूनी व्यवस्था में यूपीआई-भीम के जरिए पेमेंट करने पर सरचार्ज लेने की मनाही है साथ ही यूपीआई-भीम के जरिए बैंक मर्चेंट से भी सेवा के एवज में फीस नहीं वसूल सकते हैं। लेकिन उन नियमों के उलट मर्चेंट से दो फीसदी तक शुल्क वसूला जा रहा है।

आशीष दास के मुताबिक निजी क्षेत्र की एयरलाइंस विस्तारा ने बैंकों के मना करने के बाद भी डेबिट कार्ड लेनदेन के नाम पर चार्ज लिया था। बाद में बैंकों की तरफ से मना करने के बाद कंपनी ने कंवीनियंस फीस लेना शुरू कर दिया था। वहीं आईआरसीटीसी में कुछ बैंकों के डेबिट कार्ड के जरिए लेन देन करने पर ग्राहकों को 0.9 फीसदी अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता है। यह चार्ज भले ही आईआरसीटीसी ग्राहकों से नहीं लेता है लेकिन बैंक और पेमेंट एग्रीगेटर सीधे ग्राहकों से वसूल लेते हैं जो कि रिजर्व बैंक की तरफ से बनाए गए नियमों के खिलाफ है।

चार्जिंग कंज्यूमर्स फॉर मर्चेंट पेमेंट नाम से तैयार की गई रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि सरकार की तरफ से यूपीआई-भीम के जरिए डिजिटल लेन देन की व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए करीब 2500 करोड़ रुपये के फंड की व्यवस्था की जानी चाहिए। तभी डिजिटल लेन देन की व्यवस्था को बेहतर किया जा सकेगा और चार्जेज वसूलने वालों पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।

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