बिजली बिल में बिल्डर कर रहे खेल? सोसाइटी में रहने वालों ने बताई परेशानी
आरोप है कि यूपी सरकार के नियमों को ताख पर रखकर बिजली बिल की वसूली की जा रही है। प्रति यूनिट के हिसाब से ज्यादा चार्ज लिया जा रहा है। यह पूरी तरह से एनसीआर के बिल्डर्स की मनमानी है।
ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी में रहने वाले योगेश कुमार काफी परेशान हैं। इस परेशानी की वजह हर माह आने वाला उनका बिजली बिल है। जब से प्रीपेड मीटर लगना शुरू हुआ है, योगेश जैसे सोसाइटी में रहने वाले हजारों लोग मनमाने बिजली बिल से परेशान हैं। लोगो का आरोप है कि सरकार की नियमों को ताख पर रखकर बिल्डर मनमाने ढंग से बिजली बिल की वसूली कर रहे हैं। योगेश कुमार मनमाने बिजली बिल की वसूली का गणित भी समझाते हैं।
योगेश कुमार बताते हैं कि ग्रेटर नोएडा में कुछ बिल्डर किराये पर देने के लिए मकान बना रहा है तो अपने नाम का एक बिजली कनेक्शन लेता है। इसके बाद हर फ्लैट के लिए प्रीपेड मीटर लगा देता है। प्रीपेड मीटर पर बिजली बिल की वसूली सरकार की दर से ज्यादा की जा रही है। योगेश के मुताबिक बिल्डर, सोसायटी में रहने वाले लोगों से 8.50 रुपया प्रति यूनिट चार्ज ले रहा है, जो सरकार के मुकाबले ज्यादा है।
ये है गणित: इसके अलावा हर माह मीटर चार्ज 330 रुपये लिया जा रहा है। वहीं, 200 रुपये मेंटेनेंस चार्ज लगा दिया जाता है। इसके अलावा जिस थर्ड पार्टी ऐप के जरिए बिजली बिल का पेमेंट करते हैं उसके लिए भी मंथली चार्ज 60 रुपये देना पड़ता है। वहीं, इलेक्ट्रिसिटी डूयटी के नाम पर 90 रुपये की वसूली की जाती है। कहने का मतलब ये है कि बिजली बिल के अलावा ग्राहकों से 700 रुपये तक की वसूली की जाती है। आप बिजली जलाए या ना जलाएं, हर माह आपको 700 रुपये तक देने पड़ेंगे। इस रकम की वसूली हर दिन के हिसाब से की जाती है। प्रीपेड मीटर के लिए जमा बैलेंस में से हर दिन 22 रुपये कटते हैं।
नियमों को रखा जा रहा ताख पर: सोसाइटी में रह रहे लोगों का आरोप है कि यूपी सरकार के नियमों को ताख पर रखकर बिजली बिल की वसूली की जा रही है। प्रति यूनिट के हिसाब से ज्यादा चार्ज लिया जा रहा है। वहीं, बिल्डर ऐसे-ऐसे चार्ज भी ले रहे हैं जिसका सरकार की ओर से कोई आधिकारिक आदेश नहीं है। ये सिर्फ बिल्डर की मनमानी है।
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