टमाटर के दाम 100 रुपये के पार, हरी सब्जियां 50% तक हुई महंगी, महंगाई ने आम आदमी का निकाला दम
देशभर में जहां एक तरफ एलपीजी सिलेंडर के दाम 1000 रुपये के पार चला गया है। वहीं, दूसरी तरफ टमाटर समेत हरी सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने से आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है।
Tomato price hike: देशभर में जहां एक तरफ एलपीजी सिलेंडर के दाम 1000 रुपये के पार चला गया है। वहीं, दूसरी तरफ टमाटर समेत हरी सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने से आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में आम आदमी का बजट बिगड़ना स्वाभाविक ही है। दरअसल, देश के कई शहरों में इन दिनों टमाटर के भाव 100 रुपये तक पहुंच गए हैं।
अन्य राज्यों में टमाटर की कीमतें
देशभर के अन्य राज्यों में भी सब्जियों की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। रिटेल में टमाटर के दाम 100 रुपये किलो और 120 रुपये किलो के भाव पर बेची जा रही है। चेन्नई में टमाटर की थोक कीमतें 80 रुपये से 95 रुपये के बीच हैं और अब आंध्र और कर्नाटक दोनों में भारी वर्षा के कारण इसके बढ़ने की उम्मीद है।
दिल्ली-एनसीआर में 80 रुपये तक मिल रहा टमाटर
पिछले हफ्ते, दिल्ली में टमाटर की कीमतों में वृद्धि हुई क्योंकि राजस्थान और गुजरात में उत्पादन प्रभावित हुआ था। यह पिछले वर्षों की तुलना में 400 प्रतिशत अधिक हो गया है। दिल्ली एनसीआर के रिटेल मार्केट में इस साल टमाटर 65-80 रुपये किलो बिक रहा है। एशिया की सबसे बड़ी सब्जी और फल मंडी आजादपुर और गाजीपुर मंडी के कारोबारियों के मुताबिक, टमाटर की आवक घटकर लगभग एक तिहाई रह गई है, जिससे इसकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। रिटेल मार्केट में इस साल टमाटर 65-80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
क्या है वजह
सप्लाई में कमी और अनप्रिडिक्टेबल वेदर (मौसम) के चलते देशभर में सब्जियों की कीमतें बहुत अधिक बढ़ गई हैं। पुणे में टमाटर की कीमतों ने आसमान छू लिया है और यहां अच्छी क्वालिटी के टमाटर 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। इतना ही नहीं, लगभग सभी हरी सब्जियों के दाम में पिछले महीने की तुलना में कम से कम 40-50% की बढ़ोतरी हुई है।
कब तक मिल सकती है राहत
चूंकि टमाटर का ज्यादातर घरों में डेली यूज में आता है, इसलिए उच्च कीमतों ने मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए इसे खरीदना मुश्किल बना दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले तीन से चार हफ्तों तक टमाटर की कीमतों में गिरावट की संभावना नहीं है। सप्लाई में कमी के बीच अन्य सब्जियां भी महंगी हो गई हैं। नुकसान के डर से किसानों ने नई फसल नहीं लगाई है। यहां तक कि नए बागानों को भी कटाई में दो से तीन महीने लगेंगे।
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