समन भेजने या गिरफ्तारी की जल्दबाजी ना दिखाएं GST अधिकारी, CBIC का निर्देश
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के मुताबिक वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी-सीएमडी/एमडी/सीईओ/सीएफओ किसी भी कंपनी या पीएसयू के समान अधिकारियों को आम तौर पर पहली बार में समन जारी नहीं किया जाना चाहिए।
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माल और सेवा कर (जीएसटी) के अधिकारियों को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक अहम निर्देश दिया है। इस निर्देश के तहत किसी भी कंपनी को टैक्स चोरी के मामले में पहली बार में ही समन भेजने से मना किया गया है। इसके साथ ही सीबीआईसी ने असाधारण परिस्थिति का जिक्र करते हुए गिरफ्तारी करने की सलाह दी है।
समन के लिए दिशानिर्देश: सीबीआईसी ने कहा कि समन जारी करना विभाग के पास एक साधन है, लेकिन यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस तरह की शक्ति का प्रयोग उचित विचार और विवेकपूर्ण तरीके से किया जाए। सीबीआईसी ने अपने निर्देश में कहा-अधिकारियों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे मामलों का पता लगाएं, जहां समन की बजाय सूचना मांगने के लिए एक पत्र पर्याप्त हो सकता है। निर्देश के मुताबिक अधीक्षक द्वारा जारी किए गए समन को एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखित रूप में स्वीकृत किया जाना चाहिए, पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड होना चाहिए, और समन में व्यक्तियों के विशिष्ट नाम और अपराधों के विवरण का उल्लेख भी जरूरी है।
सीबीआईसी के मुताबिक वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी-सीएमडी/एमडी/सीईओ/सीएफओ किसी भी कंपनी या पीएसयू के समान अधिकारियों को आम तौर पर पहली बार में समन जारी नहीं किया जाना चाहिए। जब राजस्व से जुड़े नुकसान के मामले की जांच में अधिकारियों की संलिप्तता के स्पष्ट संकेत मिले तो उन्हें तलब किया जाना चाहिए।
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समन अधिकारी का रहना जरूरी: यह भी निर्देश दिया गया है कि समन की समय और तारीख पर समन अधिकारी उपस्थित होना चाहिए। प्रत्येक समन के साथ दस्तावेज़ पहचान संख्या (डीआईएन) रखना भी अनिवार्य कर दिया गया है। सीबीआईसी ने जीएसटी अधिकारियों से ये भी कहा है कि वे नियमित रूप से लोगों को गिरफ्तार न करें। कुछेक मामलों में गिरफ्तारी की सलाह दी गई है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट: भारत में केपीएमजी में पार्टनर-इनडायरेक्ट टैक्स अभिषेक जैन के मुताबिक कंपनी या अधिकारियों को कई नियमित मामलों के लिए समन जारी किए गए थे। दिशानिर्देश इस सिद्धांत को बहाल करते हैं कि अधिकारियों को पहली बार में नहीं बुलाया जाना चाहिए। वहीं, कंसल्टेंसी फर्म ईवाई में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि अलग-अलग हाईकोर्ट ने माना है कि गिरफ्तारी के प्रावधानों को शायद ही कभी लागू किया जाना चाहिए और मनमाने ढंग से या वसूली के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
सीबीआईसी का निर्देश स्पष्ट करता है कि गिरफ्तारी की शक्ति असाधारण परिस्थितियों में लागू की जानी चाहिए। मसलन, व्यक्ति दस्तावेजों से छेड़छाड़, धोखाधड़ी गतिविधियों आदि में शामिल है तो इसे लागू किया जाए। गिरफ्तारी की शक्ति नियमित या तकनीकी मामलों के लिए लागू नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी अधिकारियों को इन दिशानिर्देशों पर ध्यान देना चाहिए।