चीन को झटका: हांगकांग के रास्ते आने वाले माल पर बढ़ेगी सख्ती
भारत में हांगकांग के रास्ते आने वाले माल को लेकर सरकार सख्त जांच प्रक्रिया लागू करने की तैयारी कर रही है। ऐसा चीन के साथ बढ़े तनाव के बीच हांगकांग से बीते चार साल में तीन गुना आयात बढ़ने के बाद हुआ...
भारत में हांगकांग के रास्ते आने वाले माल को लेकर सरकार सख्त जांच प्रक्रिया लागू करने की तैयारी कर रही है। ऐसा चीन के साथ बढ़े तनाव के बीच हांगकांग से बीते चार साल में तीन गुना आयात बढ़ने के बाद हुआ है। सरकारी अधिकारियों को अंदेशा है कि चीन से आयात रोकने पर वह अपना माल हांगकांग के जरिये भारत भेज रहा है। इसकी दूसरी वजह यह भी है कि वित्त वर्ष 2019-20 में चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे में कमी आई, लेकिन हांगकांग के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब भारत घरेलू माल को बढ़ावा देने के लिए चीनी माल के आयात पर सख्ती बढ़ा रही है तो उसे वियतनाम, हांगकांग और बांग्लादेश जैसे देशों से आयातित माल पर सख्त रुख अख्तियार करना होगा। ऐसा नहीं करने से इन देशों से चीनी सामाना को भारत भेजा जाता रहेगा। सूत्रों के अनुसार, भारत का वाणिज्य मंत्रालय को हांगकांग के जरिये सामान भेजने की भनक लग गई है। इसलिए मंत्रालय तुरंत इस दिशा में जांच के लिए सक्रिय हो गया है। अब मंत्रालय हांगकांग के साथ बढ़ते व्यापार घाटे की समीक्षा कर रहा है जिससे हांगकांग रूट से आने वाले चीनी सामान की भी रोकथाम की जा सके।
इलेक्ट्रॉनिक सामान को बड़े पैमाने पर आयात
भारत में हांगकांग के रास्ते बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक सामान का आयात होता है। उदाहरण के लिए हांगकांग से तीसरा सबसे अधिक मात्रा में आने वाला सामान डिजिटल सर्किट है जो पहले चीन से आता था। लिथियम आयन बैटरी का आयात भी इसी तरह हांगकांग के रास्ते तेजी से बढ़ा है। मोबाइल में लगने वाला मेमोरी कार्ड के आयात में भी हांगकांग से बड़ा उछाल आया है।
वियतनाम-बांग्लादेश पर भी निगरानी हो
विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत को हांगकांग के साथ वियतनाम और बांल्देश पर भी निगरानी रहने की जरूरत है। वियतनाम का चीन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) होने की वजह से चीन का सामान वियतनाम में धड़ल्ले से आ सकता है। चीन के कारोबारी इस संधी का फायदा उठाते हुए अपने माल को वियतनाम के रूट से भारत भेज सकते हैं क्योंकि वियतनाम से आने वाले सामान को वियतनाम का माना जाएगा।
निर्यातकों से अमेरिकी मांग रहे मोटी छूट
कोरोना महामारी ने भारतीय निर्यातकों के सामने भी संकट खड़ा कर दिया है। यूरोपी और अमेरिकी कंपनियां क्रिसमस की खरीदारी पर भारतीय निर्याताकों से 20 से 25 फीसदी की छूट मांग रहे हैं। साथ ही उधारी की अवधि भी बढ़ाने की मांग कर रहे है। मौजूदा समय में उधारी की अवधि 60 दिन है जिसे वो बढ़ाकर 90 दिन करने की मांग कर रहे हैं। कोरोना संकट से भारत के कपड़ा, चमड़े के सामान, हैंडीक्राफ्ट, स्टील, ज्वैलरी, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्र पर सबसे बुरा असर पड़ा है। इसमें अलगे चार महीने सुधार होने की संभावना बहुत ही कम है।
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