Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Rising numbers of corona virus patients risk economy going down further said IHS

कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या से अर्थव्यवस्था के और नीचे जाने का जोखिम : आईएचएस

देश में लंबे समय से जारी लॉकडाउन के चलते चालू वित्त वर्ष में जहां भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका है वहीं लॉकडाउन में ढील के बाद कोविड-19 के मरीजों की बढ़ती संख्या से देश का आर्थिक परिदृश्य...

Drigraj Madheshia एजेंसी, नई दिल्लीFri, 12 June 2020 02:20 PM
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देश में लंबे समय से जारी लॉकडाउन के चलते चालू वित्त वर्ष में जहां भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका है वहीं लॉकडाउन में ढील के बाद कोविड-19 के मरीजों की बढ़ती संख्या से देश का आर्थिक परिदृश्य और गिरावट के जोखिम को दिखा रहा है। बता दें 12 जून सुबह 8 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड-19 पॉजिटिव केस 297535 हो गए हैं।  केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 12 जून सुबह 8 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना के 10956 नए मामले आए और 396 मौतें हुईं। अभी तक कोरोना वायरस के चलते 8498 लोगों की मौत हो चुकी है।

अप्रैल-जून में जीडीपी वृद्धि दर में तीव्र गिरावट का अनुमान

आईएचएस मार्किट ने शुक्रवार को कहा, '' इस लंबे लॉकडाउन का असर देश के औद्योगिक उत्पादन और उपभोक्ता व्यय दोनों पर गहरा है। वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में तीव्र गिरावट का अनुमान है जिससे वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर भारी मंदी का शिकार हो सकती है। कंपनी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर अपने आकलन में यह बात कही। भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन लगा था और अभी कुछ क्षेत्रों में 30 जून तक रहेगा। हालांकि अब देश अनलॉक 1.0 के दौर में है।

लॉकडाउन में ढील से  कोविड-19 के मामलों में कमी पर भारत में स्थिति उलट

आईएचएच मार्किट ने कहा कि अन्य देशों की तुलना में लॉकडाउन नियमों में राहत देने के बाद कोविड-19 के मामलों में कमी देखी गई, लेकिन भारत में स्थिति इसके उलट है। ऐसे में लॉकडाउन नियमों का भविष्य बहुत ज्यादा अनिश्चित है और अर्थव्यवस्था के और नीचे जाने का जोखिम बढ़ा है। सर्वेक्षण कंपनी ने कहा कि भारत में कोरोना मामले बढ़ने की वजह शहरों में जनसंख्या घनत्व अधिक होना, देश की ज्यादा आबादी और कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली होना है।

आईएचएस मार्किट का कंपनियों के खरीद प्रबंधकों के बीच किया जाने वाला अप्रैल का सर्वेक्षण 'पीएमआई लॉकडाउन के पूरे असर को दर्शाता है, जिसमें कारोबारी गतिविधियां लगभग ढह जाने के संकेत मिलते हैं। कंपनी का एकीकृत उत्पादन सूचकांक अप्रैल में 7.2 अंक रहा जो सर्वेक्षण शुरू होने के साढ़े चौदह साल के इतिहास में सबसे निचला स्तर है। सर्वेक्षण दिखाता है कि कोविड-19 ने देश के विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। इससे कुल कारोबारी गतिविधियों में तीव्र गिरावट रही है।

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