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छोटे कर्ज बांटने में रिकॉर्ड 111% का इजाफा, इस तिमाही में 57,842 करोड़ रुपये के लोन बांटे

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आंकड़ा दोगुना हुआ। माइक्रो फाइनेंस सेक्टर ने वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 57842 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा है। पिछले वर्ष इस अवधि में 27,328 करोड़ का लोन बांटा

छोटे कर्ज बांटने में रिकॉर्ड 111% का इजाफा, इस तिमाही में 57,842 करोड़ रुपये के लोन बांटे
Drigraj Madheshiaनई दिल्ली, एजेंसी।Thu, 25 Aug 2022 06:05 AM

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माइक्रो फाइनेंंशियल सेक्टर ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 57,842 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा है। यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले दोगुने से अधिक है। पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 27,328 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया। इस तिमाही में 111 फीसदी का उछाल आया है। सूक्ष्म वित्तीय क्षेत्र की नियामक संस्था 'साधन' की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र ने महामारी की चुनौतियों को पार कर वापसी कर ली है। सूक्ष्म वित्तीय क्षेत्र में पैसों की तरलता बढ़ी है। वहीं, आरबीआई के नए नियमों के लागू हो जाने से इस क्षेत्र को भी अपनी नीतियों में बदलाव करने पड़े, जिसका असर कर्ज देने की प्रक्रिया पर भी पड़ा है।

इन क्षेत्रों में बांटा गया कर्ज : चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सूक्ष्म और मझोले उद्योगों को दिए गए कुल ऋण में बैंकों ने 15,111 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। जबकि एनबीएफसी माइक्रो-फाइनेंस संस्थानों की तरफ से 6,678 करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए। वहीं, स्मॉल फाइनेंस बैंकों की तरफ से 3,564 करोड़ रुपये का कर्ड दिया गया। इसके अलावा अन्य संस्थाओं ने क्रमशः 1,518 और 457 करोड़ रुपये के कर्ज दिए।

दरों में उछाल का कंपनियों पर असर नहीं

अमेरिका की रेटिंग एजेंसी एसएंडपी का अनुमान है कि भारत का मजबूत आर्थिक विकास आगे भी जारी रहेगा और इसका कंपनियों की आय पर सकारात्मक असर दिख सकता है। एसएंडपी ने भारत की विकास दर अनुमान में कटौती कर इसे 7.8 से 7.3 फीसदी कर दिया था।

एजेंसी का कहना है कि बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां दरों और लागत में बढ़ोतरी को झेलने की बेहतर स्थिति में हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि पिछले दो वर्षों में अधिकतर कंपनियों ने अपने संचालन ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। इससे कंपनियों पर लागत बोझ कम हुआ है। वहीं, सामान्य मानसून से कृषि उत्पादन बेहतर होगा और इससे खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।

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