सस्ता हो जाएगा लोन लेना, RBI कर सकता है जल्द फैसला
रिजर्व बैंक आने वाले समय में मौद्रिक नीति की बैठक में ब्याज दर (रेपो रेट) तय करने के तरीके में बदलाव कर सकता है। केंद्रीय बैंक मुख्य नीतिगत दर रेपो में केवल 0.25 % या इसके दो, तीन, या चार गुणा में...
रिजर्व बैंक आने वाले समय में मौद्रिक नीति की बैठक में ब्याज दर (रेपो रेट) तय करने के तरीके में बदलाव कर सकता है। केंद्रीय बैंक मुख्य नीतिगत दर रेपो में केवल 0.25 % या इसके दो, तीन, या चार गुणा में घटाने या बढ़ाने करने के बजाय इससे कम अथवा अधिक दर से भी बदलाव कर सकता है। इस बदलाव से बाजार की उम्मीदों और मौद्रिक नीति उपायों के बीच का जो अंतर होता है वह कम हो सकता है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही वाशिंगटन में मुद्राकोष-विश्वबैंक की ग्रीष्मकालीन सालाना बैठक के दौरान एक कार्यक्रम में इस बात की जानकारी दी।
बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई की ओर से रेपो रेट तरीके में बदलाव से उपभोक्ताओं को बैंक से लोन लेना सस्ता हो सकता है। अभी रेपो रेट में कटौती के बाद भी उपभोक्ताओं को पूरा फायदा बैंकों से नहीं मिलता है।
एसबीआई रिसर्च ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में इसका जिक्र करते हुए कहा है कि अगर ऐसा होता है तो यह केंद्रीय बैंक का महत्वपूर्ण कदम होगा जिसका मकसद मौद्रिक नीति को लेकर विभिन्न पक्षों के बीच संवाद को और पारदर्शी और स्पष्ट बनाना है।
बदलाव के लिए विकसित देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यूरोपीयन सेंट्रल बैंक नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत के गुणक में कमी या वृद्धि नहीं करता। हालांकि, अमेरिकी फेडरल रिजर्व जरूर 0.25% या उसके गुणक में बदलाव करता है।
केंद्रीय बैंक फिलहाल मौद्रिक नीति ब्योरे में प्रथम पीढ़ी का संकेत ही देता है। आरबीआई दूसरी पीढ़ी का संकेत उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है। इससे पारदर्शिता आएगी और बाजार की उम्मीदों और नीतिगत रुख के बीच जो फासला को कम किया जा सकेगा।