
रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में की कटौती, जानिए आपको कैसे मिलेगा फायदा
संक्षेप: कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने और ब्याज दरों में कमी लाने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने नीतिगत दरों में...
कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने और ब्याज दरों में कमी लाने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने नीतिगत दरों में कटौती की घोषणा की है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि नीतिगत रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की कटौती की गई है, जबकि रिवर्स रेपो रेट में भी 40 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए इसे 3.35% कर दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत कटौती के पक्ष में 5:1 से मतदान किया। कोरोना वायरस के बढ़ते संकट की वजह से समिति की एक विशेष बैठक बुलाई गई। इसमें बहुमत के आधार पर लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि समिति ने कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया के हालात की समीक्षा की है।
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कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में मदद के उद्देश्य से रेपो रेट में 4० आधार अंकों की कटौती की गयी है। अब रिपो दर 4 प्रतिशत हो गयी है। लॉकडाउन में यह दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। इससे पहले 27 मार्च को रेपो दर में 0.75 फीसदी कटौती की गई थी।
क्या है रेपो रेट
रेपो वह रेट है, जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कर्ज देता है। कर्ज की मांग बढ़ने पर बैंक रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं। इसके लिए उन्हें निर्धारित ब्याज चुकाना होता है। रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंकों को रिजर्व बैंक से कम दर पर लोन मिलेगा।
रेपो रेट में कमी का फायदा
आरबीआई जब रेपो रेट में कटौती करता है तो प्रत्यक्ष तौर पर बाकी बैंकों पर वित्तीय दबाव कम होता है। आरबीआई की ओर से हुई रेपो रेट में कटौती के बाद बाकी बैंक अपनी ब्याज दरों में कटौती करते हैं। इसकी वजह से आपके होम लोन और कार लोन की ईएमआई में कमी आती है। रेपो रेट कम होता है तो महंगाई पर नियंत्रण लगता है। ऐसा होने से देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़े स्तर पर फायदा मिलता है। ऑटो और होम लोन क्षेत्र को फायदा होता है। रेपो रेट कम होने से कर्ज सस्ता होता है और उससे होम लोन में आसानी होती है।
ऐसी कंपनियां जिन पर काफी कर्ज है उन्हें भी फायदा होता है क्योंकि रेपो रेट कम होने के बाद उन्हें पहले के मुकाबले कम ब्याज चुकाना होता है। आरबीआई के इस फैसले से प्राइवेट सेक्टर में इनवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलता है। इस समय देश में निवेश को आकर्षित करना सबसे बड़ी चुनौती है। इनफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ता है और सरकार को इस सेक्टर को मदद देने के लिए बढ़ावा मिलता है। रेपो रेट कम होता है तो कर्ज सस्ता होता है और इसके बाद कंपनियों को पूंजी जुटाने में और आसानी होती है।
क्या है रिवर्स रेपो रेट?
दिनभर के कामकाज के बाद बैंकों के पास जो रकम रकम बच जाती है उसे भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर रिजर्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।
रिवर्स रेपो रेट में कटौती से क्या फायदा?
रिवर्स रेपो रेट में कमी का मतलब है कि बैंकों को अपना अतिरिक्त पैसा रिजर्व बैंक के पास जमा कराने पर कम ब्याज मिलेगा। बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे। इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी। बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे। बैंक अपने अतिरिक्त धन को रिजर्व बैंक के पास जमा कराने की बजाय लोन के बांटकर अधिक ब्याज कमाने पर जोर देंगे। बैंक लोन पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
एफडी पर ब्याज दरों में हो सकती है कटौती
सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई की ओर से घोषित कदमों से बैंकों में जमा राशि पर ब्याज दरों में कमी का दबाव बनेगा। जानकारों के मुताबिक, बैंक एक बार फिर जमा और एफडी पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। पहले ही बैंक जमा पर ब्याज दरों में काफी कटौती कर चुके हैं।





