Q2 GDP: अर्थव्यवस्था में सुधार के बीच बुनियादी उद्योगों की चुनौतियां कायम
देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच बुनियादी क्षेत्रों आठ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन इस बार अक्तूबर महीने में एक साल पहले की तुलना में 2.5 प्रतिशत घट गया। यह लगातार आठवां महीना है, जब इन...
देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच बुनियादी क्षेत्रों आठ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन इस बार अक्तूबर महीने में एक साल पहले की तुलना में 2.5 प्रतिशत घट गया। यह लगातार आठवां महीना है, जब इन क्षेत्रों का उत्पादन कम हुआ हो। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली। इसमें कहा गया है कि उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण खनिज तेल, गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात उद्योग के उत्पादन में कमी आना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2019 में इन आठ क्षेत्रों के उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आलोच्य माह के दौरान कोयला, उर्वरक, सीमेंट और बिजली क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गयी।
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हालांकि कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों और इस्पात में गिरावट रही। वहीं इस साल अप्रैल से अक्तूबर के दौरान इन क्षेत्रों के उत्पादन में 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। साल भर पहले की समान अवधि में इनके उत्पादन में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि बुनियादी उद्योगों में लगातार गिरावट परेशानी का सबब है। देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठ बुनियादी उद्योगों का योगदान 40 फीसदी के करीब है। ऐसे में इसका सीधा असर आईआईपी के आंकड़ों पर भी होगा।
अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन का अनुमान: सीईए
मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमणियम ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत में उम्मीद के कहीं अधिक तेजी से पुनरूद्धार हो रहा है, उससे चालू वित्त वर्ष में अथर्व्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। निकट भविष्य के लिए परिदृश्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, हमें सतर्क रहते हुए उम्मीद करनी चाहिए और कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को देखते हुए सतर्कता जरूरी है। सुब्रमणियम ने कहा कि मौजूदा अनिश्चितता को देखते हुए यह बताना मुश्किल है कि अर्थव्यवस्था सकारात्मक दायरे में तीसरी तिमाही में आएगी या फिर चौथी तिमाही में। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति नरम हुई है और इस पर सरकार की तरफ से कड़ी नजर रखी जा रही है।
अगली तिमाही पर रखनी होगी नजर
जानकारों की राय में आने वाली तिमाही जीडीपी के नजरिये से और बुरी हो सकती है। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व सांख्यिकीविद प्रणब सेन के मुताबिक लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी का गिरना देश के लिए अच्छे संकेत नहीं है। उन्होंने बताया कि पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में आया सुधार त्योहारी मांग को देखते हुए उद्योग जगत में काम की बढ़ी रफ्तार को दिखाता है। ऐसे में अगली तिमाही के लिए इस मांग को बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगा।
आर्थिक पुनरूद्धार की गति एक सुखद आश्चर्य: नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शुक्रवार को भारत की अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार की गति को 'सुखद आश्चर्य बताया। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि तेजी की पुष्टि करती है। भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहा है। कुमार ने ट्विटर पर लिखा है, आर्थिक पुनरूद्धार की गति एक सुखद आश्चर्य है। विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि इस बात की पुष्टि करता है कि मांग की अगुवाई में पुनद्धार हो रहा है।
राजकोषीय घाटा सालाना लक्ष्य के 120 प्रतिशत पर पहुंचा
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में अक्तूबर के अंत तक बढ़कर 9.53 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो सालाना बजट अनुमान का करीब 120 प्रतिशत है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार मुख्य रूप से राजस्व संग्रह कम रहने से घाटा बढ़ा है। कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिये लगाये गये 'लॉकडाउन के कारण कारोबारी गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसका असर राजस्व संग्रह पर पड़ा है। इस साल सितंबर के अंत में राजकोषीय घाटा सालाना बजट अनुमान का 114.8 प्रतिशत था।
विदेशीमुद्रा भंडारबढ़कर 575.29 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 2.518 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 575.29 अरब डालर के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह बताया गया। इससे पिछले 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.277 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 572.771 अरब डॉलर हो गया था।
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समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है। ये परिसंपत्तियां कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 2.835 अरब डॉलर बढ़कर 533.103 अरब डॉलर हो गयीं। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 33.9 करोड़ डॉलर घटकर 36.015 अरब डॉलर रहा।
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