लॉकडाउन की चिंता में कैश इकट्ठा कर रहे लोग, एटीएम से अधिक पैसे की निकासी और पेमेंट कर रहे डिजिटल माध्यम से
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने नकदी के उपयोग को लेकर भी लोगों के व्यवहार में बदलाव लाया है। अब लोग बैंक शाखा में बार बार जाने से बचने के लिए एटीएम से ही बड़ी राशि निकालने को तरजीह दे रहे...

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने नकदी के उपयोग को लेकर भी लोगों के व्यवहार में बदलाव लाया है। अब लोग बैंक शाखा में बार बार जाने से बचने के लिए एटीएम से ही बड़ी राशि निकालने को तरजीह दे रहे हैं। इसके साथ ही छोटे से छोटा भुगतान भी डिजिटल माध्यम से करना पसंद कर रहे हैं। महामारी की दूसरी लहर से लोग सतर्क हुए हैं। वे आपात उपयोग के लिये बैंक शाखा के बजाए एटीएम से एक बार ही में ज्यादा पैसा निकाल रहे हैं। साथ ही भुगतान के लिये यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और अन्य डिजिटल तरीकों का उपयोग कर रहे हैं।
इस बारे में सर्वत्र टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक मंदर अगाशे ने कहा कि लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के नियमों को देखते हुए लोग बैंक जाने से बच रहे हैं और पैसे निकालने के लिये एटीएम का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ''एटीएम के जरिये धन निकासी में करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका कारण लोग अधिक राशि निकाल रहे हैं और दवा एवं अन्य आपात स्थिति के लिये नकद रखना चाह रहे हैं।
पहले लोग औसतन एक बार में 2,000 से 3,000 रुपये निकालते थे
अगाशे के अनुसार, ''पहले लोग औसतन एक बार में 2,000 से 3,000 रुपये निकालते थे। अब यह करीब 20 प्रतिशत बढ़कर 3,000 से 4,000 रुपये हो गया है। यह प्रवृत्ति शहर और गांव दोनों जगह देखने को मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि छोटे लेन-देन के लिए यूपीआई पसंदीदा माध्यम बना हुआ है, लेकिन इसके जरिये लेन-देन औसतन 1,000 के स्तर पर बरकरार है। अगाशे के अनुसार लोगों के रुख में इस बदलाव से आईएमपीएस (तत्काल भुगतान सेवा) के जरिये भुगतान 9,000 रुपये तक चला गया है जो पहले 6,000 से 7,000 रुपये था।
अनिश्चित घड़ी में लोग नकद रखने को दे रहे तरजीह
उन्होंने कहा, ''कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने नकद रखरखाव और प्रबंधन पर उल्लेखनीय प्रभाव डाला है और यह सब दीर्घकाल में डिजिटल भुगतान के पक्ष में है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े के अनुसार सात मई को चलन में मुद्रा की मात्रा 2,939,997 करोड़ रुपये हो गयी, जो 26 मार्च 2,858,640 करोड़ रुपये थी। केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस अनिश्चित घड़ी में लोग नकद रखने को तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एहतियाती उपायों के लिए हैं, क्योंकि किसी को चिकित्सा कारणों से अचानक से खर्च की जरूरत पड़ सकती है।
यह भी पढ़ें: कोविड महामारी की दूसरी लहर का गांवों पर असर, ट्रैक्टर की बिक्री होगी प्रभावित: एस्कॉर्ट्स
पे नियरबाई के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और सीईओ आनंद कुमार बजाज ने कहा कि लॉकडाउन को लेकर चिंता से लोग पैसा निकाल रहे हैं और नकद अपने पास रख रहे हैं। इसका कारण इस कठिन समय में आपात और बुनियादी जरूरतों के लिये नकदी अपने पास रखना है। उन्होंने कहा कि नकदी के उपयोग का संकेत है कि लोग अपने पास नकद राशि रख रहे हैं क्योंकि उन्हें और कड़े 'लॉकडाउन की आशंका है जिसे महामारी को काबू में लाने के लिये लगाया जा सकता है।्
खेतान एंड कंपनी के भागीदार अभिषेक ए रस्तोगी के अनुसार लोग आपात जरूरतों के लिये नकदी अपने पास रख रहे हैं। साथ ही वे संक्रमण के खतरे को देखते हुए पैसा जमा करने या निकालने के लिये बैंक जाने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अस्पतालों को भी हाल में पैन और आधार की प्रति के साथ 2 लाख रुपये से अधिक नकद लेने की अनुमति दे दी गयी है। इस कारण भी लोग अपने पास पैसा रखने को तरजीह दे रहे हैं।