NPS या VPF? कर्मचारियों और निवेशकों के लिए कौन बेहतर विकल्प
NPS Vs VPS: स्वैच्छिक भविष्य निधि और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली दो ऐसी योजनाएं हैं, जो ऐसे कर्मचारियों और निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है। दोनों योजनाओं से वह रिटायरमेंट के लिए बड़ा कोष तैयार कर सकते है

रिटायरमेंट के बाद अधिकांश लोग नियमित आय के लिए कई योजनाओं में निवेश करते हैं। खासकर निजी क्षेत्र के कर्मचारी, जिनके पास पेंशन सुरक्षा नहीं है। स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) दो ऐसी योजनाएं हैं, जो ऐसे कर्मचारियों और निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है। दोनों योजनाओं के माध्यम से वह सेवानिवृत्ति के लिए बड़ा कोष तैयार कर सकते हैं।
क्या होता है VPF खाता: स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) ईपीएफ का ही हिस्सा है। ईपीएफ में कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 फीसद योगदान करता है। इतना ही योगदान नियोक्ता करता है। नियोक्ता के योगदान में से 8.33 फीसद राशि कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाती है। शेष 3.67 फीसद ईपीएफ खाते में आती है। VPF में कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से अपने योगदान को बढ़ा सकता है। कर्मचारी अपने मूल वेतन का 100 फीसद योगदान कर सकता है। एक वित्त वर्ष में ईपीएफ और VPF को मिलाकर कुल योगदान 2.5 लाख रुपये है तो यह कर मुक्त होती है। इससे अधिक पर आय स्लैब के अनुसार कर देना होता है। ईपीएफ और VPF दोनों योगदान पर 8.15 फीसद ब्याज मिलता है। यह निवेश पूरी तरह सुरक्षित होता है।
NPS में निवेश के तरीके: राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) को केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के कर्मचारी और सामान्य नागरिक भी NPS खाता खुलवा सकते हैं। इसमें जमा कोष को इक्विटी और सरकारी बॉन्ड में लगाया जाता है। उसी के अनुरूप ब्याज मिलता है, जो ईपीएफ और VPF से अधिक हो सकता है।
पिछले एक दशक में इस योजना में नौ से से 12 फीसदी तक रिटर्न मिला है। 60 साल की आयु में सेवानिवृत्ति के बाद NPS कोष से 60 फीसदी रकम ही एकमुश्त निकाली जा सकती है। यह कर मुक्त होती है। बाकी 40 फीसदी रकम को बीमा कंपनियों के एन्यूटी/पेंशन प्लान में निवेश करना होता है, जिससे पेंशन मिलती है। इस पर कर चुकाना होता है। फिलहाल पेंशन नियामक पीएफआरडीए के पैनल में 15 कंपनियां शामिल हैं, जिनसे पेंशन प्लान खरीदा जा सकता है। यदि कोई NPS सदस्य 60 वर्ष से पहले समय पूर्व निकासी चाहता है तो उसे कुल फंड का 80 फीसदी हिस्सा एन्युटी/पेंशन प्लान खरीदने में लगाना होता है। सिर्फ 20 फीसदी रकम ही एकमुश्त निकाल सकते हैं।
