Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़NPAs for education loans rise by 9 point 55 percent as job losses and income decline

नौकरी छूटने-आय घटने से शिक्षा ऋण का एनपीए 9.55% बढ़ा

कोरोना संकट की मार उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों और युवा पेशेवरों पर काफी बुरा हुआ है। लॉकडाउन के कारण उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद प्लेसमेंट न मिलने या मिली नौकरी छूटने से वो शिक्षा ऋण नहीं...

नौकरी छूटने-आय घटने से शिक्षा ऋण का एनपीए 9.55% बढ़ा
Sheetal Tanwar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली Fri, 19 March 2021 11:07 AM
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कोरोना संकट की मार उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों और युवा पेशेवरों पर काफी बुरा हुआ है। लॉकडाउन के कारण उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद प्लेसमेंट न मिलने या मिली नौकरी छूटने से वो शिक्षा ऋण नहीं चुका पा रहे हैं। इससे 31 दिसंबर, 2020 तक सरकारी बैंकों द्वारा बांटे गए शिक्षा ऋण का एनपीए 9.55% बढ़ा है। सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, कुल शिक्षा ऋण में से 8,587 करोड़ रुपये 366,260 खाते में एनपीए हुए हैं।

इस तरह बढ़ा एजुकेशन लोन का एनपीए ग्राफ
अवधि                 एनपीए (% में)

31 मार्च, 2018        8.11
31 मार्च, 2019        8.29

31 मार्च, 2020        7.61
31 दिसंबर, 2020    9.55

किस राज्य में सबसे अधिक एजुकेशन लोन एनपीए हुआ

राज्य               कुल बकाया     कुल एनपीए
तमिलनाडु        17,193.58     3,490.75
केरल              10,236.12      1,369.23

बिहार               3,524.88        908.16
कर्नाटक            8,040.76        495.69

महाराष्ट्र             9,534.49        448
(आंकड़े -  करोड़ रुपये में)

दक्षिण भारत की हिस्सेदारी 65 फीसदी

दक्षिण भारत के राज्यों में लिए गए शिक्षा ऋण में सबसे अधिक एनपीए के मामले सामने आए हैं। कुल शिक्षा ऋण के एनपीए में दक्षिण भारत की हिस्सेदारी 65% से अधिक है। तमिलनाडु में अकेले 8,587 करोड़ रुपये शिक्षा ऋण में से 3,490.75 करोड़ का एनपीए हुआ है। राज्य पर बकाया शिक्षा ऋणों में तमिलनाडु में 20.3% और बिहार में 25.76% एनपीए हो गए हैं। हालांकि, बिहार पर शिक्षा लोन तमिलनाडु से बहुत कम था।

तीन वित्त वर्ष में बढ़ोतरी

शिक्षा ऋण के लिए एनपीए की दर 2019-20 की तुलना में काफी अधिक थी और पिछले तीन वित्तीय वर्षों में सबसे अधिक है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, शिक्षा ऋण में आवास, वाहन, उपभोक्ता टिकाऊ और खुदरा ऋण की तुलना में काफी अधिक एनपीए देखा गया, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 1.52% से 6.91% के बीच था।

बेरोजगारी बढ़ने से बिगड़ी स्थिति

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन से बेरोजगारी बढ़ी है। देश में रोजगार के अवसरों में कमी के साथ ही अमेरिका जैसे विकसित देशों की ओर से बदले गए वीजा नियमों से भी मुश्किल बढ़ी है। वीजा नियमों में बदलाव के कारण नौकरी के लिए भारत से विदेश जाने वाले स्‍टूडेंट्स की संख्‍या भी घटी है। नौकरी नहीं मिलने से कर्ज का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। इससे शिक्षा ऋण में एनपीए तेजी से बढ़ा है।

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