2021 में आए आईपीओ का बुरा हाल, बाजार में भारी गिरावट के बीच पिछले साल आए हर 3 में से एक शेयर लिस्टिंग प्राइस से नीचे
पिछले एक सप्ताह से बाजार में आ रही भारी गिरावट से लगभग सभी शेयर की कीमतों का बुरा हाल है। लेकिन सबसे ज्यादा असर पिछले साल आईपीओ पर पड़ा है। नए लिस्ट हुए स्टॉक लिस्टिंग अपनी बढ़त खो रहे हैं। अधिकतर...
पिछले एक सप्ताह से बाजार में आ रही भारी गिरावट से लगभग सभी शेयर की कीमतों का बुरा हाल है। लेकिन सबसे ज्यादा असर पिछले साल आईपीओ पर पड़ा है। नए लिस्ट हुए स्टॉक लिस्टिंग अपनी बढ़त खो रहे हैं। अधिकतर कंपनियों के आईपीओ बाजार में ज्यादा मूल्यांकन के साथ लिस्ट हुए थे। एसएंडपी बीएसई आईपीओ इंडेक्स के अनुसार, नए आईपीओ के शेयर साल की शुरुआत से अब तक लगभग 10% गिर गए हैं और मार्च 2020 के बाद से यह सबसे ख़राब महीने की तरफ बढ़ रहा है। एसएंडपी बीएसई आईपीओ इंडेक्स लिस्टिंग के बाद से दो साल तक फर्मों पर नज़र रखता है।
मौद्रिक नीति को कड़ा करने की तैयारी का असर
वैश्विक केंद्रीय बैंक इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति को कड़ा करने की तैयारी कर रहे हैं। इस कारण इक्विटी में जोरदार गिरावट आ रही है। यूएस में, इस वर्ष लिस्ट होने वाले दो-तिहाई से अधिक शेयर अपनी शुरुआती कीमतों पर या उससे कम पर कारोबार कर रहे हैं। जूलियस बेयर वेल्थ एडवाइजर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में इक्विटी निवेश और रणनीति के प्रमुख रूपेन राजगुरु का कहना है कि भारतीय कंपनियों के लिए आसान पैसा अब उपलब्ध नहीं होगा और इससे भविष्य में फंड जुटाने पर असर पड़ेगा।
स्टार्टअप के शेयरों में भारी गिरावट
भारत इस तिमाही में एक और मेगा आईपीओ की सफलता सुनिश्चित करने के लिए तैयारी कर रहा है। देश की फर्मों को 2021 में 110 से अधिक पेशकश से लगभग 18 बिलियन डॉलर मिले थे। इनमें ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ज़ोमैटो लिमिटेड, ब्यूटी रिटेलिंग स्टार्टअप न्याका और डिजिटल भुगतान फर्म पेटीएम जैसी कंपनियां शामिल हैं। सोमवार को दो महीनों में बेंचमार्क एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली। बिकवाली में, ज़ोमैटो के शेयरों में 20% की गिरावट आई, जबकि न्याका के शेयरों में 13% की गिरावट आई। पेटीएम, जिसके शेयर 2.4 बिलियन डॉलर के आईपीओ के बाद से पहले ही 50% से अधिक गिर चुके हैं, 4% से अधिक गिरा।
500 मिलियन डॉलर जुटाने वाली 46% कंपनियों के शेयर नीचे
ब्लूमबर्ग शो के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 42 कंपनियों ने आईपीओ से कम से कम 100 मिलियन डॉलर जुटाए, इनमे से 38% के शेयर लिस्टिंग मूल्य से नीचे ट्रेडिंग कर रहे हैं। कम से कम $ 500 मिलियन जुटाने वाली कंपनियों का और बुरा हाल है जुटाए। यहां 46% कंपनियों के शेयर लिस्टिंग प्राइस से नीचे ट्रेड कर रहे हैं।पेटीएम की गिरावट ने विशेष रूप से प्राइवेट इक्विटी-समर्थित टेक्नोलॉजी फर्मों के बढ़े हुए मूल्यांकन पर सवाल उठाए हैं, इनमें से कुछ घाटे की रिपोर्ट के बावजूद लिस्टिंग के साथ आगे बढ़े। इसने सेबी के लिए भी मुश्किल शुरू की और उसने बैंकरों सही से मानकों की समीक्षा करने और आईपीओ के लिए बेहतर मूल्य देने के लिए कहा।
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