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31 अगस्त से खत्म होगा मोरेटोरियम, मध्यमवर्ग पर बढ़ेगा दबाव

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा घोषित लोन मोरेटोरियम अवधि 31 अगस्त को खत्म होने वाली है। वहीं, कोरोना संकट के कारण वेतन में कटौती और नौकरी गंवाने से मध्यमवर्ग की वित्तीय स्थिति नाजुक बनी हुई है।...

31 अगस्त से खत्म होगा मोरेटोरियम, मध्यमवर्ग पर बढ़ेगा दबाव
Sheetal Tanwar एजेंसी, नई दिल्लीWed, 26 Aug 2020 08:08 AM
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा घोषित लोन मोरेटोरियम अवधि 31 अगस्त को खत्म होने वाली है। वहीं, कोरोना संकट के कारण वेतन में कटौती और नौकरी गंवाने से मध्यमवर्ग की वित्तीय स्थिति नाजुक बनी हुई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऐसे में एक बार फिर से सभी तरह के कर्ज की ईएमआई शुरू होने से आम आदमी पर चौतरफा दबाव बढ़ेगा। इससे अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर होगा। 

बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई द्वारा दिए गए छह महीने के मोरेटोरियम से आम लोगों को आय कमने के बावजूद खर्च के लिए पैसे की कमी नहीं हुई। इसकी वजह रही है कि उनको वाहन, घर या पर्सनल लोन की ईएमआई नहीं चुकाना पड़ा है। अब जब अगले महीने से एक बार फिर से ईएमआई शुरू होगी तो संकट पैदा होगा क्योंकि वेतन में कटौती से आय कम हो गई है। ईएमआई चुकाने के बाद खर्च चलाना मुश्किल होगा। वहीं, जिनकी नौकरी चली गई है वह ईएमआई नहीं चुका पाएंगे। इससे बैंकों का एनपीए बढ़ेगा। यह सारे कारक कहीं न कहीं वित्तीय बाजार से लेकर अर्थव्यवस्था में संकट पैदा करने का काम करेंगे।

आम आदमी वित्तीय परेशानियों में घिरेगा
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के रिटायर्ड अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने हिन्दुस्तान को बताया कि मोरेटोरियम खत्म करने का सबसे बुरा असर आम आदमी या मध्यमवर्ग पर पड़ेगा। कोरोना संकट के कारण अभी भी विमानन, पर्यटन, हास्पटैलटी, मॉल, रियल एस्टेट जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। इनमें अभी भी मामूली सुधार हुआ है। इन सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोग ने अपनी नौकरी गंवाई हैं। वहीं, दूसरे सेक्टर में लोगों को छंटनी और वेतन कटौती का सामना करना पड़ा है। ऐसे में ईएमआई का बोझ पड़ने से आम आदमी वित्तीय परेशानियों में घिरेगा। वह बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाएगा। ऐसे में स्थिति में उसकी प्रॉपर्टी की नीलामी होगी। 

बैंकों के एनपीए बढ़ेंगे
विशेषज्ञों का कहना है कि मोरेटोरियम सामाप्त होने पर बैंकों का एनपीए तेजी से बढ़ेगा। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों के फंसे हुए कर्ज 8.5 फीसद से बढ़कर 14.7 फीसद तक पहुंच सकते हैं। यह बीते 20 साल का सर्वोच्च स्तर हो सकता है। कोरोना संकट के कारण लोन की ईएमआई चुकाने में चूक करने वाले होम व कार लोन भी होंगे। आमतौर पर इनकी संख्या कम होती थी। 

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कई कारोबारी सेक्टर में समस्या बढ़ेगी 
विशेषज्ञों का कहना है कि लोन मोरेटोरियम की अवधि समाप्त होने से आम आदमी के साथ ही कारोबारी दिक्कतें भी पैदा होंगी। ऐसा इसलिए कि लॉकडाउन में ढील के बावजूद अभी भी कई सेक्टर अपनी क्षमता का 50 फीसदी का ही इस्तेमाल कर पा रहे हैं। वहीं, होटल, पर्यटन, सिनेमा जैसे क्षेत्र पूरी तरह से बंद हैं। जो सेक्टर काम भी कर रहे हैं वह मांग में कमी से मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। ऐसे में उद्योग जगत को लोन की ईएमआई चुकाना मुश्किल होगा। अगर स्थिति नाजुक हुई तो कई उद्योग में दिवालिया होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। 

तीन माह तक और राहत जरूरी 
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख अर्थशास्त्री एसपी शर्मा ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना से बुरी तरह प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति में अभी बहुत सुधार नहीं आया है। लॉकडाउन में ढील के बाद से कारोबारी गतिविधियां जरूर तेज हुई हैं लेकिन पूरी तरह से सुधरी नहीं है। ऐसे में लोन मोरेटोरियम की अवधि तीन माह तक बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने से बाजार में संकट की स्थिति बन सकती है। 

बड़े बैंक आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं
एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास से अपील की थी लोन पेमेंट पर मोरेटोरियम की अवधि को अगस्त से आगे नहीं बढ़ाई जाए। पारेख ने कहा कि इससे बैंक, एनबीएफसी और पूरी इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होगा। एसबीआई और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी मोरेटोरियम खत्म करने की वकालत की थी। 

1. सेकेंड हैंड कार बाजार 
कोरोना संकट से नौकरी जाने के बाद बहुत सारे लोग कार बेचने की तैयारी कर रहे हैं। वाहन लोन की ईएमआई शुरू होने पर सेकेंड हैंड कार बाजार में सप्लाई बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि लोग अपनी गाड़ी बेचकर लोन चुकाना चाहेंगे। इससे गाड़ियों के दाम में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। इसका असर नई कार बाजार पर भी देखने को मिल सकता है। 

2. प्रॉपर्टी बाजार में कम होंगी कीमतें 
प्रॉपर्टी विशेषज्ञों का कहना है कि लोन मोरेटोरियम अवधि खत्म होने से रीसेल प्रॉपर्टी बाजार में कीमत कम होने की संभावना है। ऐसा इसलिए कि जो लोग होम लोन की ईएमआई नहीं चुकाएंगे वो अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहेंगे। वहीं कुछ लोगों की प्रॉपर्टी लोन नहीं देने के कारण बैंक अपने कब्जे में लेंगे। वह भी बाद में उस प्रॉपर्टी की नीलामी करेंगे। इससे रीसेल बाजार में कीमतें कम होने की संभावना है। 

3.गोल्ड लोन
लोन की ईएमआई शुरू होने के बाद आम आदमी के बीच नकदी संकट बढ़ने की आशंका है। इसकी भरपाई गोल्ड लोन के जरिये होने की उम्मीद है। इससे आने वाले दिनों में गोल्ड लोन की मांग बढ़ेगी। आरबीआई ने 31 मार्च 2021 तक सोने की कीमत का 90 फीसदी तक कर्ज लेने की अनुमति भी  दी है। 

4. बीमा कंपनियों की आय पर असर होगा 
आय कम होने और लोन की ईएमआई शुरू होने से प्रीमियम भुगतान में देरी या डिफॉल्ट होने की संभावना है। इससे आने वाले दिनों में बीमा कंपनियों की आय में कमी की आशंका है। 

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