अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी 533 रुपये प्रति घंटा, भारत में मिलते हैं 25.25 रुपये प्रति घंटा
अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति और डेमोक्रेट पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने कहा कि वह न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 15 डॉलर (करीब 1103 रुपये) प्रति घंटे करेंगे और इस बात से इनकार किया कि...

अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति और डेमोक्रेट पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने कहा कि वह न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 15 डॉलर (करीब 1103 रुपये) प्रति घंटे करेंगे और इस बात से इनकार किया कि इससे छोटे कारोबारियों को नुकसान होगा। अमेरिका में इस समय न्यूनतम मजदूरी 7.25 डॉलर प्रति घंटे है। यानी करीब 533 रुपये प्रति घंटे।
मनरेगा मजदूरों की एक दिन की मजदूरी 202 रुपये
यदि भारत की बात करें तो यहां मनरेगा मजदूरों को एक दिन का 202 रुपये मिलता है। यदि इसे 8 घंटे के काम के अनुसार विभाजित करके देखें तो यह महज 25.25 रुपये प्रति घंटा ही होता है, जो वैश्विक मानक की तुलना में बेहद कम है। मनरेगा की मजदूरी में बढ़ोतरी की बात करें तो साल 2017-18 और 2018-19 के बीच देश के कुल दस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक रुपए भी मजदूरी में बढ़ोतरी नहीं की गई, इसी तरह वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मजदूरी में बढ़ोतरी नहीं की गई। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल और कर्नाटक राज्य भी शामिल रहे।

तो स्विट्जरलैंड होगा सबसे ज्यादा वेतन देने वाला देश
बता दें स्विट्जरलैंड के जेनेवा में न्यूनतम वेतन 23 स्विस फ्रैंक प्रति घंटा (1,839 रुपये के करीब) किए जाने की तैयारी पूरी हो गई है। यदि ऐसा होता है तो जेनेवा में काम करने वाले लोगों को दुनिया भर से ज्यादा न्यूनतम वेतन हासिल होगा। स्विस सरकार के मुताबिक इसे फैसले को लेकर वोटिंग कराई गई थी और 58 फीसदी वोटर्स ने इसका समर्थन किया है। जेनेवा में घंटे का न्यूनतम मजदूरी लगभग 25 डॉलर है।
मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी में बड़ा अंतर
दक्षिण अफ्रीका में विभिन्न कामगारों का घंटे का न्यूनतम मजदूरी 1.23 डॉलर है। इस लिहाज से देखें तो दुनिया भर में मजदूरों के न्यूनतम वेतन में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। ब्रिटेन में न्यूनतम मजदूरी 11.33 डॉलर प्रति घंटे तो आस्ट्रेलिया में न्यूनतम मेहनताना 19.84 डॉलर प्रति घंटे है।
मनरेगा का हाल
मनरेगा की मजदूरी में बढ़ोतरी की बात करें तो साल 2017-18 और 2018-19 के बीच देश के कुल दस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक रुपए भी मजदूरी में बढ़ोतरी नहीं की गई, इसी तरह वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मजदूरी में बढ़ोतरी नहीं की गई। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल और कर्नाटक राज्य भी शामिल रहे।
बिडेन का वादा

बता दें बिडेन ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद की बहस के दौरान कहा, ''इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जब आप न्यूनतम मजदूरी बढ़ाते हैं, तो कुछ व्यवसाय बंद हो जाते हैं। दूसरी ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी तय करने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मजदूरी बढ़ाने का दबाव बनाकर आप छोटे कारोबारियों की मदद किस तरह कर रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया ऐसा करने पर कई छोटे कारोबारी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देंगे।
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