ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News Businessmandi rate review Mustard oil rises due to festive demand soybean oil falls by 25 percent

मंडी भाव: त्योहारी मांग से सरसों तेल में तेजी, सोयाबीन तेल में 25 फीसद की गिरावट

निर्यात की मांग खत्म होने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होने के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली दाना (तिलहन) और तेल कीमतों में गिरावट को छोड़कर लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों...

मंडी भाव: त्योहारी मांग से सरसों तेल में तेजी, सोयाबीन तेल में 25 फीसद की गिरावट
Drigraj Madheshiaएजेंसी,नई दिल्लीSun, 01 Nov 2020 01:06 PM
ऐप पर पढ़ें

निर्यात की मांग खत्म होने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होने के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली दाना (तिलहन) और तेल कीमतों में गिरावट को छोड़कर लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख देखने को मिला।   बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह त्योहारी मांग होने के कारण सरसों दाना एवं सरसों तेल कीमतों में सुधार के अलावा सोयाबीन तेल तिलहन, पाम एवं पामोलीन कीमतों में सुधार आया। सस्ते आयातित तेलों की मांग होने से बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) की कीमत पिछले सप्ताहांत 30 रुपये की नुकसान के साथ बंद हुई।

मूंगफली
  
मूंगफली की निर्यात मांग खत्म होने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले भाव महंगा होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर त्योहारी मांग बढ़ने के बीच बाजार में स्टॉक कम होने से सरसों दाना और इसके तेल की कीमतों में तेजी आई। कोविड-19 महामारी की वजह से किसान अप्रैल-मई के महीने में मंडी में बिक्री के लिए स्टॉक नहीं लाए, जिससे व्यापारियों और तेल मिलों के पास सरसों का कोई स्टॉक नहीं है। सरकार की ओर से सहकारी संस्था नाफेड ने किसानों से सरसों की खरीद की जिसके कारण सरसों का सीमित स्टॉक या तो नाफेड के पास या फिर किसानों के पास रह गया है।

सरसों तेल की मांग बढ़ी, स्टॉक की कमी

mustard oil

सूत्रों ने कहा कि सर्दी के मौसम और त्योहारों में सरसों तेल की मांग बढ़ती है। फिलहाल स्टॉक की कमी है। उन्होंने कहा कि नाफेड को जून-जुलाई में सरसों बिक्री के बजाय सरसों की बिजाई के बाद अक्टूबर-नवंबर में सरसों की बिक्री करनी चाहिये थी। इससे किसानों को फायदा होता और सरसों की भी इतनी कमी नहीं होती।  उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्थिति भविष्य में सरसों के लिए बेहतर साबित होगी क्योंकि मौजूदा वर्ष में सरसों की अच्छी कीमत मिलने से किसान उत्साहित हैं और आगे इसके उत्पादन की मात्रा बढ़ सकती है।

सूरजमुखी बीज उत्पादकों को नहीं मिल रहे उचित दाम 

                  सूरजमुखी तेल

साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने भी सरकार को पत्र लिखकर तेल उद्योग की चिंताएं बताई हैं और इस बात को रेखांकित किया है कि अन्य जिंसों के मुकाबले तेल कीमतों में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। उसने तेल कीमतों में वृद्धि की वकालत की है और कहा है कि इस वृद्धि का घरों के बजट पर विशेष असर नहीं होगा क्योंकि घरेलू बजट का मामूली हिस्सा खाद्य तेल का होता है। सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी बीज उत्पादकों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। इस ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

25 प्रतिशत सस्ता होने के कारण तेलों की मांग बढ़ी

25 प्रतिशत सस्ता होने के कारण  तेलों की मांग बढ़ी

सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी का रुख होने तथा हल्के तेलों में सरसों, मूंगफली, तिल इत्यादि के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत सस्ता होने के कारण सोयाबीन तेलों की मांग बढ़ी है। सर्दियों के मौसम और त्योहारों की वजह से घरेलू खपत के लिए मांग बढ़ने के साथ-साथ देश में ब्लेंडिंग के लिए भी सोयाबीन डीगम की मांग है। इन परिस्थितियों में समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाना सहित इसके तेल की कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

यह भी पढ़ें: Gold Price Review: सोना 5500 रुपये तक हो चुका है सस्ता, करवा चौथ पर जानें क्या होगा

बाकी तेलों के मुकाबले सबसे सस्ता होने, ब्लेंडिंग की मांग बढ़ने के साथ-साथ त्योहारी मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोयाबीन दाना और लूज की कीमतें क्रमश: 50 रुपये और 45 रुपये सुधरकर क्रमश: 4,345-4,395 रुपये और 4,215-4,245 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली के भाव पूर्ववत रहे जबकि सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 150 रुपये और 30 रुपये सुधरकर क्रमश: 10,350 रुपये और 9,350 रुपये क्विन्टल पर बंद हुए।

सरसों तेल (दादरी) 280 रुपये की तेजी

सूत्रों ने कहा कि नाफेड हरियाणा, राजस्थान में सरसों दाना की सीमित मात्रा में बिकवाली कर रहा है, लेकिन सट्टेबाज नाफेड से कम कीमत पर खरीद करने का दबाव बनाने के लिए वायदा कारोबार में भाव पहले से नीचा चलाने लगते हैं। हालांकि, नाफेड कम कीमत वाली बोली को निरस्त भी कर रहा है। आलोच्य सप्ताह के दौरान घरेलू तेल-तिलहन बाजार में सरसों दाना (तिलहन फसल) पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 300 रुपये का सुधार दर्शाता 6,200-6,250 रुपये और सरसों तेल (दादरी) 280 रुपये के सुधार के साथ 12,280 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें 40-40 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,855-2,005 रुपये और 1,975-2,085 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।

यह भी पढ़ें: आपका आधार नकली तो नहीं, चेक करने का यह है सबसे आसान तरीका

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को तिलहनों का भी बफर स्टॉक बनाना चाहिये तथा देशी स्तर पर तिलहन उत्पादन बढ़ाने के साथ सस्ते आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये ताकि हमारे तिलहन उत्पाद आयातित तेलों की प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि बफर स्टॉक के कारण देशी तिलहन पूरा का पूरा बाजार में खप जाएगा और किसानों को इससे फायदा होगा।

मूंगफली दाना में 200 रुपये की गिरावट

मूंगफली की निर्यात मांग खत्म होने से पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मूंगफली दाना 200 रुपये की गिरावट के साथ 5,275-5,325 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। इसके अलावा मूंगफली तेल गुजरात 650 रुपये की हानि दर्शाता 13,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड 90 रुपये की गिरावट दर्शाता 2,030-2,090 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

मांग न होने के बीच बेपड़ता कारोबार के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन एक्स-कांडला की कीमतें क्रमश: 320 रुपये, 100 रुपये और 50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 8,350 रुपये, 9,600 रुपये और 8,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले मांग प्रभावित होने से बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) का भाव 30 रुपये की हानि दर्शाता समीक्षाधीन सप्ताहांत में 9,250 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें